
पवन कुमार ‘मारुत’
शब्दों के इस घमासान में कविता के माध्यम से स्वयं को ढूँढ़ने का प्रयास करता हूँ। इस असमानता से भरी दुनिया में समता एवं सद्भावना के बीज बोना चाहता हूँ। साहित्य रचना ही एकमात्र ऐसा पवित्र पथ है, जिस पर चलकर इंसान को इंसान बनाया जा सकता है। मानव का सिर्फ एक ही धर्म है- मानवता। मैं इसी मानवता की स्थापना के लिए साहित्य रचना करते हुए हिन्दी की सेवा में निरन्तर लगा रहना चाहता हूँ। मुझे पूर्ण विश्वास है मेरा यह प्रयास अवश्य रंग लाएगा।
पवन कुमार “मारुत”
सहायक आचार्य (हिन्दी),
राजकीय महाविद्यालय, कनवास,
कोटा (राज.) पिनकोड- 325602