भीतर से मैं कितनी खाली (रचनाकार - देवी नागरानी)
1. सच मानिए वही कविता है
कविता का मौन भी बतियाता है
जब वह ख़ुद का पढ़वाती है
साहित्य के मंच पर
डफली पीटने की बात होती है
सच है इस भरमार की तादाद है
भीड़ भी है,
कवियों से ज़्यादा कविताओं की
पर भीड़ में कहीं कोई कविता
अलग, सबसे अलग भी होती है
जिससे रूबरू होकर
उसे पढ़ते-पढ़ते
सोच ठिठक जाये तो लगता है
फिर से पढ़ लो
सच मानिए वही कविता है
जो ख़ुद को पढ़वाती है
बाक़ी तो ख़ैर बातें हैं, बातों का क्या?
एक बात जो ठोस है
जिसका लोहा मैं भी मानती हूँ
कि क़लम की धार अपनी पहचान
ख़ुद करवाती है।
उस क़लम के तेवर इतने पैने होते है
कि कोरे काग़ज़ पर लिखी वह तहरीर
दिल की दीवारों पे याद बनकर चिपक जाती है
वही कविता है
जो ख़ुद का पढ़वाती है।
सच मानिए वही कविता है
विषय सूची
- प्रस्तावना – राजेश रघुवंशी
- भूमिका
- बहुआयामी व्यक्तित्व की व्यासंगी साहित्यिकारा देवी नागरानी
- कुछ तो कहूँ . . .
- मेरी बात
- 1. सच मानिए वही कविता है
- 2. तुम स्वामी मैं दासी
- 3. सुप्रभात
- 4. प्रलय काल है पुकार रहा
- 5. भीतर से मैं कितनी ख़ाली
- 6. एक दिन की दिनचर्या
- 7. उम्मीद नहीं छोड़ी है
- 8. मैं मौत के घाट उतारी गई हूँ
- 9. क्या करें?
- 10. समय का संकट
- 11. उल्लास के पल
- 12. रैन कहाँ जो सोवत है
- 13. पाती भारत माँ के नाम
- 14. सुख दुख की लोरी
- 15. नियति
- 16. वे घर नहीं घराने हैं
- 17. यादों में वो बातें
- 18. मन की गाँठें
- 19. रेंग रहे हैं
- 20. मुबारक साल 2021
- 21. जोश
- 22. इल्म और तकनीक
- 23. शर्म और सज्दा
- 24. लम्स
- 25. अपनी नौका खेव रहे हैं
- 26. नया साल
- 27. बहाव निरंतर जारी है
- 28. तनाव
- 29. यह दर्द भी अजीब शै है
- 30. रात का मौन
- 31. रावण जल रहा
- 32. लौट चलो घर अपने
- 33. उम्मीद बरस रही है
- 34. क़ुदरत परोस रही
- 35. रेत
- 36. मेरी यादों का सागर
- 37. मन का उजाला
- 38. लड़ाई लड़नी है फिर से
- 39. सिहर रहा है वुजूद
- 40. मेरी जवाबदारी
- 41. ख़ुद के नाम एक ख़त
- 42. बँट गए आदमी
- 43. जीवन के कुछ अनकहे राज़
- 44. नव जीवन का नव निर्माण
- 45. घरौंदा
- 46. दोस्ती के नाम
- 47. भेदभाव का इतिहास
- 48. ग़ुलामी की प्रथा
- 49. साँसें रेंग रही हैं
- 50. जेनरेशन गैप है
- 51. यादों के इक झुग्गी
- 52. जीवन है बस रैन बसेरा
- 53. नए साल के नये वादे
- 54. नवनिर्माण
- 55. सफ़रनामा
- 56. गुलमोहर
- 57. शब्दों का जाल
- 58. बचपन की साइकिल
- 59. तुम न आए
- 60. साँस ले रही है
- 61. दर्द का अहसास
- 62. अलविदा ऐ साथी
- 63. विष को पीना होगा
- 64. नारी मन की रूदाद
- 65. जन्मदातिनी
- 66. माँ व मर्यादा पुरुष
- 67. माँ हे माँ
- 68. नारी अपनी ही तलाश में
- 69. वैलेंटाइन दिवस
- 70. आओ कुछ नया ईजाद करें
- 71. सुरों की मलिका लता जी की याद में
- 72. विरह का मिलन
लेखक की कृतियाँ
- ग़ज़ल
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- चढ़ा था जो सूरज
- ज़िंदगी एक आह होती है
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- तू ही एक मेरा हबीब है
- नाम तेरा नाम मेरा कर रहा कोई और है
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