सत्य सदा बदल रहा तुम किस सत्य को पकड़े हो

01-07-2025

सत्य सदा बदल रहा तुम किस सत्य को पकड़े हो

विनय कुमार ’विनायक’ (अंक: 280, जुलाई प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

 

सत्य सदा बदल रहा तुम किस सत्य को पकड़े हो 
जिस सच को पकड़े बैठे हो, वो कब से झूठा हो चुका 
ईश्वर ने तुम्हारे दिए नाम छोड़ दिए उसे नहीं कहो
ईश्वर को प्रिय नहीं तुम्हारे नाम उससे नहीं पुकारो! 
 
तुमने जो ईश्वर को वेशभूषा छवि दी वे तुम जैसे 
तुम्हारे मन में दूसरे के प्रति जो घृणा द्वेष पनपते 
वो सब कुछ अपने ईश्वर में आरोपित कर दिए होते 
तुमने उन्हें वैसे नाम दे दिए जैसे परिणाम चाहते! 
 
गंदे हो चुके सारे प्रतिमान गंदगी त्याग दो बिल्कुल 
मर चुके सब देवदूत रसूल न बचे उस वक़्त के उसूल 
आज कोई तीर्थंकर आएँगे तो वो निर्वस्त्र नहीं रहेंगे 
कोई बुद्ध आएँ तो अहिंसा नहीं, जैसे को तैसे करेंगे! 
 
अब घड़ा द्रोणी हिरण गर्भ से ऋषि लेंगे नहीं अवतार 
ना सूर्य कर्ण जनेंगे, ना सगर के होंगे पुत्र साठ हज़ार 
अब नहीं एक साथ सौ पुत्र गांधारी कोख में होंगे तैयार 
अब ना कोई अवतार परशु से करेंगे बारंबार नरसंहार! 
  
अब गौतम पत्नी अहल्या का बलात्कारी इंद्र नहीं प्रभु
कभी वेदों के देव इन्द्र की पूजा होती थी, अब वो शत्रु 
मृत्युंजय पाठ शिवस्रोत से यदि शिव प्राण बचाव करते 
तो भार्या सती व भक्त रावण क्यों ना बचे शव होने से? 
 
जिस सोमरस को वेदवेत्ता याज्ञिक ऋषि देवता पीते थे 
अब पूरे प्रमाणित हो चुके कि वे सुरा मदिरा ही होते थे 
सारे मतलबी मज़हब नशा है अरे होश हवास नहीं खोना 
तर्क-वितर्क सोच-विचार करना वर्णा अंत में पड़ेगा रोना! 
 
गीता पढ़कर परमाणु बम बनानेवाले ज्ञानी ओपनहाईमर 
तब भी थे द्रोण के पिता भरद्वाज वैमानिकी के सूत्रधार 
तब भी ब्रह्मोस ब्रह्मास्त्र त्रिशूल नाग अग्नि आकाश शर 
पिनाक भार्गवास्त्र, इच्छा भर से उगते सुदर्शन कृष्ण कर! 
 
अस्त्र-शस्त्र सौदागर चीन रुस अमेरिका तब भी होते थे 
तब भार्गव ईरानी श्यामकर्णी अश्व बेचते रथ बनाते थे
रे अश्वत्थामा अणुबम वापसी मंत्र तब भी अब भी नहीं 
अस्तु गीता के प्रवचनकार युद्ध टालते रणछोड़ देते थे! 
 
अब घृणा सिखानेवाले मत छोड़कर नास्तिक होना बेहतर 
नास्तिकता का अर्थ वैज्ञानिक सोच उच्चतर जीवन स्तर 
धन बल शिक्षा चिकित्सा जनसेवा न्याय आदि में तत्पर 
शांतिपूर्ण सहअस्तित्व में विश्वास कर न शत्रुता और डर! 
 
नास्तिक होने का मतलब ये नहीं कि मनुज धर्म छोड़ दें
नास्तिक होने से तात्पर्य हम निभाएँ मातृ पितृ जीव धर्म 
नास्तिक का अर्थ निभाए माँ पिता गुरु देश प्रति कर्त्तव्य 
नास्तिक यानी मानववादी सारी पूजा नमाज़ दिखावा व्यर्थ! 

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