नन्ही परी

01-07-2025

नन्ही परी

शक्ति सिंह (अंक: 280, जुलाई प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

राह में हर दिन वह दिखती, 
मनमोहक सौंदर्य की असीम भंडार, 
ग़ज़ब की चंचलता, राधा-सी मुस्कान, 
जैसे काँटों की छाँव में खिला हो, कमल। 
बिजली के खंभे से सटी, बैठी थी माँ, 
एक दुधमुँही गोद में थी संतान, 
पास बैठा कुत्ता दुम हिलाता, 
प्रहरी-सा वह करता निगरानी, 
राह में हर दिन वह दिखती। 
 
गुज़रता था, मैं जब भी वहाँ से, 
हाथ पकड़कर मेरा, करती इशारा दुकान की ओर, 
जैसे भूख ने शब्दों का सहारा लिया हो, 
मौन में भी वह करती आग्रह और ज़ोर। 
मैं भी था बेरोज़गार और कमज़ोर, 
पर पैदल से बचाए किराए से, 
अपनी औक़ात भर भूख मिटाता उसकी, 
‘भइया’ कहती थी मुझे
मात्र छह साल की वह नन्ही-सी परी। 
राह में हर दिन वह दिखती। 
 
पिता को कुछ हो गया था या छोड़ गया था, 
चार प्राणियों का था उसका परिवार, 
माँ के चेहरे की लाचारी दिखती थी साफ़, 
एक दिन मैंने यूँ ही पूछ लिया, 
करती क्यों नहीं कुछ काम? 
उसने कहा, 
ना अच्छे वस्त्र हैं, ना कोई ठिकाना, 
काम माँगने पर दुनिया देती है, ताना। 
राह में हर दिन वह दिखती। 
 
आज प्रातः से नभ को मेघों ने घेर लिया था, 
आज उन्हें भी इस महा दुख में बहना था। 
रिमझिम बारिश में, छाता ले चल पड़ा, 
पाँवों में गति न थी, मन भी बेचैन था। 
नन्ही परी ने हाथ पकड़कर इशारा भी नहीं किया, 
न शब्द थे, न दृष्टि थी और न ही सौंदर्य दिखा। 
मानो मौन सन्नाटे ने ही सब कुछ कह दिया। 
राह में हर दिन वह दिखती। 
 
शाम को लौटा, तो वह नन्ही परी न दिखी, 
कुत्ता पूँछ हिलाता, अश्रु नयनों से आया पास, 
जैसे मूक भाषा में कह रहा हो, कुछ ख़ास। 
बिजली के खंभे से सटी सिसक रही थी, उसकी माँ, 
कल रात एक रईस ने नशे में चढ़ा दी, कार। 
राह में हर दिन वह दिखती, 
अब नहीं दिखेगी, वह नन्ही-सी परी। 

2 टिप्पणियाँ

  • 3 Jul, 2025 07:53 PM

    Such is the power of this poem that it pierces the conscience, bringing to light the silent suffering of the poor who lead a life of struggle in our society.

  • 3 Jul, 2025 07:41 PM

    The poem was both deeply intense and profoundly heartwarming. Each line carried a raw emotional weight that resonated with me, drawing me into the heart of its message. I found myself moved by the depth of feeling and sincerity embedded in the words. It stirred a genuine emotional response and left a lasting impression. I truly enjoyed reading it and appreciated the powerful way it conveyed its message.

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