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    कैनेडा का हिंदी साहित्य
    कैनेडा का हिंदी साहित्य कैनेडा का नाम भारत में और विशेष रूप से पंजाब प्रांत में बहुत आत्मीयता से लिया जाता है।.. आगे पढ़ें
अच्छा लगता है
कवयित्री: डॉ. मधु संधु - अच्छा लगता है

साहित्य कुञ्ज के इस अंक में

कहानियाँ

कमी

  “सामाजिक विसंगतियों पर उनकी रचनाएँ बड़ी सुंदर होती हैं, पत्र पत्रिकाओं में छपती भी हैं, बड़ी तार्किकता के साथ अपनी रचनाएंँ लिखते हैं; परन्तु . . .” “परन्तु क्यों,” दोस्त ने कहा।  “जब हिंदू-मुसलमान की बात आती है तो आगे पढ़ें


कौशल का त्याग

  चारों ओर घिरे पहाड़ और उनकी चोटियों से छन कर आती सूरज की छटा अद्भुत दृश्य को रच रही थी। तभी अंबुज पंडित ने अपनी पत्नी कौशांबी को पुकारा, “कौशांबी! थोड़ी शीघ्रता करो मंदिर में भीड़ बढ़ जाएगी।  कौशांबी आगे पढ़ें


क्वां क्वां को! पीठ से चिपको

मूल कहानी: क्वाक्वा!अटेक्टि ला!; चयन एवं पुनर्कथन: इतालो कैल्विनो अंग्रेज़ी में अनूदित: जॉर्ज मार्टिन (क्वैक!स्टिक टु माइ बैक); पुस्तक का नाम: इटालियन फ़ोकटेल्स;  हिन्दी में अनुवाद: ‘क्वां क्वां को! पीठ से चिपको’ सरोजिनी पाण्डेय   किसी ज़माने में एक राजा आगे पढ़ें


डूबता हुआ इश्क़ 

  नदी के घाट में भारी भीड़ में तुम्हारी माँग में भरा सिंदूर दूर से दमक रहा था। छट पूजा की शाम का इंतज़ार मुझे हर साल रहता है। तुम हर साल इन दिनों घर आती हो।  मैं तुम्हारी तस्वीरें आगे पढ़ें


भागे हुए लड़के

(संस्मरणात्मक कहानी)   कविवर आलोक धन्वा अपनी प्रसिद्ध कविता “भागी हुई लड़कियाँ” में फ़रमाते हैं कि: “ज़रूरी नहीं कि जब एक लड़की घर से भागी हो तो  किसी लड़के के साथ ही भागी हो।”  ऐसे ही ज़रूरी नहीं कि जब आगे पढ़ें


मंगत पहलवान

  “कुत्ता बँधा है क्या?” एक अजनबी ने बंद फाटक की सलाखों के आर-पार पूछा।  फाटक के बाहर एक बोर्ड टँगा रहा—कुत्ते से सावधान!  ड्योढ़ी के चक्कर लगा रही मेरी बाइक रुक ली। बाइक मुझे उसी सुबह मिली थी। इस आगे पढ़ें


मैला मन

  महल्ले में चारों ओर सफ़ाई का माहौल था; दीपावली के कुछ ही दिन शेष बचे थे। रीमा परेशान थी कि अभी तक उसके घर की सफ़ाई की शुरूआत भी नहीं हुई। तभी सुबह 10:00 बजे अचानक डोर बेल बजी आगे पढ़ें


रम्भा 

  सोने से पहले मैं रम्भा का मोबाइल ज़रूर मिलाता हूँ। दस और ग्यारह के बीच। ‘सब्सक्राइबर नाट अवेलेबल’ सुनने के वास्ते।  लेकिन उस दिन वह उपलब्ध रही, “इस वक़्त कैसे फोन किया, सर?”  “रेणु ने अभी फोन पर बताया, आगे पढ़ें


हास्य/व्यंग्य

दशहरा पर पंडित रामदीन की अपील 

  मैं दशहरे की शाम अपने लॉन में बैठा फ़ेसबुक पर किसी दूसरे की प्रोफ़ाइल पर ताकाझाँकी कर रहा था। इधर तीन-चार दिन से रावण से सम्बन्धित भली-भली सी पोस्टें पढ़ने को मिल रहीं थीं, जिसमें दशहरे पर रावण दहन आगे पढ़ें


आलेख

आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जी की ‘विज्ञान-वार्ता’

दिनेश कुमार माली,  तालचेर (ओड़िशा)    आज मेरे हाथों में एक अत्यंत ही महत्त्वपूर्ण पुस्तक है ‘विज्ञान-वार्ता’, जिसका प्रथम संस्करण 1930 में प्रकाशित हुआ था, नवल किशोर प्रेस, लखनऊ से। आज यह पुस्तक न केवल हिंदी भाषा साहित्य की दृष्टि आगे पढ़ें


क्या सच क्या झूठ क्या सपना

  बचपन में माँ को जब मैं रात के सपने के बारे में बताता था तो माँ कहती, “पुतर, सपने-सपने ही होते हैं, भूल जाओ।”  मैं भूल जाता था। सपने आते रहे, मैं भूलता गया, याद रखने का कोई औचित्य आगे पढ़ें


दीयों से मने दीवाली, मिट्टी के दीये जलाएँ

  आधुनिकता के दौर में दीपोत्सव पर मिट्टी की दीये जलाने की परंपरा विलुप्त हो रही है। इससे सामाजिक रूप से व पर्यावरण पर ग़लत प्रभाव पड़ने की आशंका को नकारा नहीं जा सकता है। पर्यावरण को बचाने के लिए आगे पढ़ें


बारहवाँ भाव: मोक्ष या भोग 

  किसी भी कुंडली के चौथे, आठवें और बारहवें भाव को मोक्ष त्रिकोण कहा जाता है जिसमें से बारहवाँ भाव सर्वोच्च मोक्ष भाव कहलाता है। लग्न भाव से कोई आत्मा शरीर धारण करके पृथ्वी पर अपना नया जीवन प्रारंभ करती आगे पढ़ें


वह साहित्य अभी लिखा जाना बाक़ी है जो पूँजीवादी गढ़ में दहशत पैदा करे

आज का कवि लिखने के प्रति इतना गंभीर नहीं, जितना प्रकाशित होने व प्रतिक्रियाओं के प्रति गंभीर है, यह बात कुछ हद तक सही है। आम मान्यता है कि कविताएँ प्रकाशित कराने के लिए, उन्हें अच्छी तरह से लिखना और आगे पढ़ें


संवेदना ही कविता का मूल तत्त्व है

संवेदना ही कविता का मूल तत्त्व है

  ‘प्रसंग’ कविता महाविशेषांक  'प्रसंग’ का कविता महाविशेषांक बहुत दिनों से आया है लेकिन इसे ठीक से पलट भी नहीं सका इसलिए कुछ कहने से रुका रहा। दो एक दिनों में कुछ रचनाएँ पढ़ी हैं। गद्य खंड पहले पलटा उसमें आगे पढ़ें


सुरभित कर्म, सुरभित वाणी, और हो सुरभित अंतर्मन!

  गुलाब की तरह हमारा जीवन अंदर-बाहर से सुंदर हो। जीवन एक रहस्य है। हम इसके रहस्य को बिना समझे अपने जीवन की किसी भी साधना में सफलता प्राप्त नहीं कर सकते। जीवन को वैसे भी किन्हीं भी शब्दों में आगे पढ़ें


हमारे पर्व और सनातन का चिंतन

  वर्षा ऋतु के बाद मौसम बदलते समय चराचर प्रकृति में हो रहे संक्रमण कालीन परिवर्तनों से तालमेल बिठाने हेतु भारतीय मनीषियों ने एक सार्वजनिक व्यवस्था निर्मित की ताकि इस समय हम सब मानसिक, शारीरिक रूप से स्वस्थ और सक्रिय आगे पढ़ें


समीक्षा

अपने-अपने देवधर: एक समग्र आकलन 

अपने-अपने देवधर: एक समग्र आकलन 

किताब: अपने अपने देवधर प्रकाशक: बुक्स क्लिनिक संपादक: बसंत राघव  पृष्ठ: 322 मूल्य: ₹1000 बुक्स क्लिनिक द्वारा सद्यः प्रकाशित ग्रंथ ‘अपने-अपने देवधर’ हिंदी और छत्तीसगढ़ी के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. देवधर महंत के बहुआयामी व्यक्तित्व एवं कृतित्व का तटस्थ भाव से आगे पढ़ें


अहसासों की अभिव्यक्ति के साथ विसंगतियों पर भी तीखे प्रहार ‘वंश’ उपन्यास

अहसासों की अभिव्यक्ति के साथ विसंगतियों पर भी तीखे प्रहार ‘वंश’ उपन्यास

पुस्तक: वंश  लेखक: प्रबोध कुमार गोविल  प्रकाशक: पंचशील प्रकाशन  पृष्ठ: 122  मूल्य: ₹200.00 वंश उपन्यास-प्रबोध कुमार गोविल द्वारा सुष्मिता जी नाम पात्र के इर्द-गिर्द, उनके जीने के दरमियान यह कहानी बुन गई। सुष्मिता जी की यह कहानी शुरू होती है आगे पढ़ें


आधुनिक संस्कृत समीक्षा का नया स्वर 

आधुनिक संस्कृत समीक्षा का नया स्वर 

समीक्षित पुस्तक: सकामलिक संस्कृत साहित्य विचार और विमर्श लेखक: डॉ.अरुण कुमार निषाद  विधा: समीक्षा ग्रन्थ  प्रकाशन: शोपिज़न प्रकाशन अहमदाबाद (गुजरात)  प्रथम संस्करण: सितम्बर-2024   मूल्य: ₹310.00 पृष्ठ संख्या: 123  अर्वाचीन संस्कृत साहित्य का आकाश विविध विधा रूपी नक्षत्रों से भरा आगे पढ़ें


जीवन के विविध रंगों का कोलाज . . . राहें मिल गुनगुनातीं

जीवन के विविध रंगों का कोलाज . . . राहें मिल गुनगुनातीं

समीक्षित पुस्तक: राहें मिल गुनगुनातीं लेखक: वीणा विज ‘उदित’ प्रकाशक: ‎ मातृभारती प्रकाशन, अहमदाबाद (गुजरात) पेपरबैक: ‎ 153 पेज मूल्य: ₹179.00 ISBN: 978-9391584603 पुस्तक ख़रीदने के लिए क्लिक करें डॉ वीणा विज ‘उदित’ का चौथा काव्य संग्रह ‘राहें मिल गुनगुनाती’ आगे पढ़ें


वैश्विक धरातल पर उकेरी गयी नई कविता

वैश्विक धरातल पर उकेरी गयी नई कविता

(हरिहर झा व उनका काव्य सृजन) समीक्षित पुस्तकें: भीग गया मन (काव्य संग्रह) लेखक: हरिहर झा  प्रकाशक: हिन्द युग्म, हौज़ ख़ास, नई दिल्ली फुसफुसाते वृक्ष कान में (काव्य संग्रह)  लेखक: हरिहर झा  प्रकाशक: अयन प्रकाशन, महरौली, नई दिल्ली दुल्हन-सी सजीली आगे पढ़ें


हेमन्त कुमार शर्मा की उत्कृष्ट रचना: पार हाला है

  पार हाला है - हेमन्त कुमार शर्मा | साहित्य कुंज  कभी-कभी कोई रचना ऐसी पढ़ने के लिए मिल जाती है जिसकी आप अपेक्षा नहीं करते। हेमन्त शर्मा एक अच्छे कवि और कहानीकार हैं। उनकी कई स्तरीय रचना आप साहित्य आगे पढ़ें


संस्मरण

लेह: यात्रा संस्मरण

लेह: यात्रा संस्मरण

  इस बार लेह के लिए यूथ हॉस्टल एसोसिएशन का बेस कैम्प लोवर टुक्चा रोड पर शुक्पा गेस्ट हाउस था, जो कुशोक बकुला रिनपौचे हवाई अड्डे से तीन किलोमीटर की दूरी पर है। हम (संजीव वर्मा, अशोक भाटी, इरशाद, भूपेन्द आगे पढ़ें


ख़ुद में खोया हुआ-सा एक भोला बच्चा और माँ की याद

ख़ुद में खोया हुआ-सा एक भोला बच्चा और माँ की याद

  माँ को याद करता हूँ तो सबसे पहले उनकी आँखें याद आती हैं। वे आँखें जिनमें एक बच्चे का-सा भोलापन था और जानने-समझने की अनवरत जिज्ञासा। इसीलिए हम अपने तईं कोई साधारण-सी बात भी कहते, तो माँ की उत्सुक आगे पढ़ें


कविताएँ

शायरी

समाचार

साहित्य जगत - विदेश

डॉ. मनीष कुमार मिश्रा उज़्बेकिस्तान में खोज रहे हैं हिंदी की नई बोलियाँ

डॉ. मनीष कुमार मिश्रा उज़्बेकिस्तान में खोज रहे हैं हिंदी की..

7 Oct, 2024

माना जाता है कि दूसरी शताब्दी के आस पास कुछ घुमंतू जातियाँ मध्य एशिया, अफ़्रीका, यूरोप और अमेरिका की तरफ़…

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उज़्बेकिस्तान में एक दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद संपन्न

उज़्बेकिस्तान में एक दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद संपन्न

23 Sep, 2024

  बुधवार, दिनांक 18 सितंबर 2024 को लाल बहादुर शास्त्री संस्कृति केन्द्र, ताशकंद, उज़्बेकिस्तान में आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद…

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वैश्विक स्तर पर हिंदी भाषा का योगदान विषयक त्रि-दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्षेत्रीय हिंदी सम्मेलन संपन्न 

वैश्विक स्तर पर हिंदी भाषा का योगदान विषयक त्रि-दिवसीय अंतरराष्ट्रीय..

14 Sep, 2024

त्रिनिदाद यात्रा से डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा की रिपोर्ट हिंदी है हृदय की भाषा: रेणुका संग्रामसिंह सुखलाल व्यावहारिक स्तर पर हिंदी…

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साहित्य जगत - भारत

34वीं तमिलनाडु राज्य स्तरीय रोलर स्केटिंग चैम्पियनशिप में स्वर्ण

34वीं तमिलनाडु राज्य स्तरीय रोलर स्केटिंग चैम्पियनशिप में..

24 Oct, 2024

चेन्नई,  20.10.2024  तमिलनाडु रोलर स्केटिंग एसोसिएशन द्वारा चेन्नई स्थित शेनोय नगर स्केटिंग रिंक में 34वाँ तमिलनाडु राज्य स्तरीय रोलर स्केटिंग…

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हिंदी साहित्य में सूफ़ी संतों का योगदान-संगोष्ठी संपन्न—युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच

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23 Oct, 2024

युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच (पंजीकृत न्यास) आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना राज्य शाखा की वर्चुअल सत्रहवीं संगोष्ठी 13 अक्टूबर 2024 (रविवार)…

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दीप्ति जी के पात्र अपने वुजूद के लिए नहीं बल्कि जीवनमूल्यों और संस्कारों को बचाने के लिए संघर्ष करते हैं—शीन काफ़ निज़ाम

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23 Aug, 2024

  जाने-माने आलोचक डॉ. कौशलनाथ उपाध्याय द्वारा सम्पादित आलोचना ग्रन्थ ‘कथाकार दीप्ति कुलश्रेष्ठ: सृजन के विविध आयाम’ के लोकार्पण का…

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साहित्य जगत - भारत

राष्ट्रपाल गौतम के एकांकी नाटक ‘गोबर के गेहूँ’ पर परिचर्चा 

राष्ट्रपाल गौतम के एकांकी नाटक ‘गोबर के गेहूँ’ पर परिचर्चा 

24 Oct, 2024

  नव दलित लेखक संघ, दिल्ली ने ‘नाटक और कविता की संगत’ नामक गोष्ठी का आयोजन किया। गोष्ठी में सर्वप्रथम…

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चेतना साहित्य मंच के बैनर तले पुस्तक विमोचन समारोह

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21 Sep, 2024

  गाडरवारा की भूमि साहित्य की रत्नगर्भा भूमि है—श्रीमती स्थापक    महाराणा प्रताप कॉलेज के ऑडिटोरियम में चेतना साहित्य मंच…

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चित्रकला के माध्यम से बिखेरे मन के रंग

चित्रकला के माध्यम से बिखेरे मन के रंग

20 Aug, 2024

  अलीगढ़। ‘अभिनव बालमन’ द्वारा मांती बसई स्थित ‘बोहरे द्वारिका प्रसाद शर्मा इंटर कॉलेज’ में ‘मेरा मन मेरे रंग’ का…

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