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    कैनेडा का हिंदी साहित्य
    कैनेडा का हिंदी साहित्य कैनेडा का नाम भारत में और विशेष रूप से पंजाब प्रांत में बहुत आत्मीयता से लिया जाता है।.. आगे पढ़ें
उसका क्या
कवि, स्वर, चित्र और निर्माण: अमिताभ वर्मा - उसका क्या

साहित्य कुञ्ज के इस अंक में

कहानियाँ

अंतर

  शेर का नाम सुनते ही लोमड़ी को दोपहर में भी सर्दी लग गई थी। एक तो वैसे भी राजाजी अभी-अभी ग़ुस्से में थे और . . .    एक घना जंगल था, जिसमें दिन में भी अगर कोई खो आगे पढ़ें


अदृश्य आवाज़ों का विसर्जन 

  अभी सूर्योदय में कुछ समय बाक़ी था। वह काफ़ी समय से इधर-उधर भटक रही थी। अब वह समुद्र के किनारे सटी हुई चट्टान पर जाकर तनिक विश्राम कर लेना चाहती थी। सदियों से हर चोले से छूटने के बाद आगे पढ़ें


अध्यवसाय

  बार-बार बिजली गुल हो जाती थी। अपने आप जाती अपने आप आ जाती थी। पहले-पहल तो मैं समझता कि ‘पावर कट’ का समय चल रहा है तो वही हो रहा होगा। वैसे भी गर्मियों के दिनों में छोटे ज़िलों आगे पढ़ें


आज भी मानवता जीवित है

  “इस घोर कलियुग में जहाँ कोई चुटकी भर नमक भी मुफ़्त में नहीं देता, वहाँ किडनीदान महादान है, जिसके द्वारा मानवता को उजाला मिलता है। मंतव्य, देश को तुम्हारे जैसे लाखों युवकों की ज़रूरत है।”–शरतचंद्र    कर्त्तव्य और मंतव्य आगे पढ़ें


कहाँ लौटती हैं स्त्रियाँ? 

  दिल्ली की एक साधारण सी हाउसिंग कॉलोनी में रहने वाली अनुपमा की सुबह हर दिन ठीक पाँच बजे शुरू होती है। अलार्म नहीं बजता, फिर भी उसकी आँख खुल जाती है। ऐसा लगता है जैसे वर्षों की आदत अब आगे पढ़ें


जादुई पक्षी

  सालों पहले एक घने जंगल में चंदन के पेड़ पर एक पक्षी रहता था। वह पक्षी चमत्कारिक था। उसकी बीट ज़मीन पर गिरते ही सोना बन जाती थी।  एक दिन की बात है। उस जंगल से एक शिकारी गुज़रा। आगे पढ़ें


तालमेल 

  नयी-नवेली बहू दादी सास से आशीर्वाद लेने पाँव छुने के लिए झुकती है . . . “अरे, अरे बहू! . . . इतना मत झुको। मेरा यह आशीर्वाद है कि तुम जीती रहो। तुम सही तो सब सही।” नयी आगे पढ़ें


तुम देखी सीता मृगनयनी

    सशंकित राम और लक्ष्मण तेज़ी से क़दम बढ़ाते हुए कुटिया में पहुँचे तो देखा कि वही हुआ है, जिसका उन्हें भय था। कुटिया सूनी थी और वहाँ सीता जी नहीं थीं।  “ज़रूर, यह राक्षसों का ही कोई षड्यंत्र आगे पढ़ें


दुपट्टे की गाँठ

  कभी-कभी ज़िंदगी के सबसे बड़े सबक़ किसी स्कूल या किताब से नहीं, बल्कि एक साधारण से घर में, एक सादी-सी औरत के मुँह से मिलते हैं। सुधा के साथ ऐसा ही हुआ था। उसे क्या पता था कि उस आगे पढ़ें


दो बिस्तर अस्पताल में

  बिना किसी सरनामें यानी भूमिका के मैं अपनी बात आप जैसे समझदारों के सामने रखना चाहती हूँ। आजकल मैं एक कहानी में हूँ। मैं नहीं जानती कि मैं कहानी लिख रही हूँ या यह कहानी मुझॆ पढ़ रही है। आगे पढ़ें


मशरूम

  “जजमान अपने इष्ट अपने माता-पिता को याद करके भगवान् विष्णु और आर्यमा देवता को स्मरण करते हुए अपने पित्तरों (माता-पिता) को उनकी प्रिय चीज़ें तर्पण कीजिए,” पुरोहित संस्कार संपन्न करवाते हुए बोला।  माली को याद आ गई वो अप्रिय आगे पढ़ें


माशा बनी सिंड्रेला की परी

  माशा एक प्यारी, शरारती, और बातूनी लड़की थी। उसे किसी की बात मानना अच्छा नहीं लगता था। वह अपने मन की मालिक थी। वह हर समय कुछ-न-कुछ खेलती और अपने भालू दोस्त को परेशान करती रहती थी। भालू भी आगे पढ़ें


लाश

  लाश रास्ते के बिलकुल बीचों-बीच पड़ी थी। दोनों ओर का रास्ता बंद हो गया था। लाश को लाँघ कर जाने की हिम्मत भला किस की हो सकती थी? लाश को लाँघ कर जाने की बात कहाँ से आई, यहाँ आगे पढ़ें


लुप्त होता आत्मविश्वास

  पिछले कुछ वर्षों से 45 वर्षीय हिंदी अध्यापक निलेश बहुत शुद्ध और गंभीर से गंभीर विषयों पर हिंदी में लिखने लगे हैं। विद्यालय पत्रिका हो, संगीत सरिता हो या कोई अन्य कार्यक्रम, उनके स्पष्ट लेखन की चर्चा और प्रशंसा आगे पढ़ें


सबसे बड़ा समाजसेवी 

  एक समय की बात हैं एक गाँव में रघुवीर नाम का व्यक्ति रहता था। रघुवीर बड़ा नेक दिल और हर किसी के दुःख को अपना दुःख समझ कर उसकी मदद करने वाला व्यक्ति था।  इस बार रघुवीर के गाँव आगे पढ़ें


साथ चलो ना

  उदास-सी शाम, टिप–टिप करती बूँदों की आवाज़, अजीब सी ख़ामोशी, पत्थर की बेंच पर बैठी हुई अनिका ने पैर के अँगूठे से ज़मीन को कुरेदते हुए अबीर की ओर देखा। अबीर टक लगाए डूबते हुए सूरज को निहार रहा आगे पढ़ें


साधुओं की भविष्यवाणी

  शहर की हवा अजीब-सी बेचैनी से भरी हुई थी। सड़कें बंद थीं, दुकानों के शटर गिरे पड़े थे। जगह-जगह पुलिस का पहरा था, फिर भी माहौल में डर और तनाव छाया था। कारण था, भाषा के नाम पर दंगे। आगे पढ़ें


सोनागाछी का महाप्रसाद

मूल (अंग्रेजी): प्रोफ़ेसर नंदिनी साहू अनुवाद: दिनेश कुमार माली   एक ऐसा मायावी संभोग सुख, जिसे न तो परिभाषित किया जा सकता है और जो अमूर्त, अवर्णनीय, सूक्ष्म था और साथ ही साथ, आत्मान्वेषी भी। वह उसे अनुभव करना चाहती आगे पढ़ें


हम ख़तरा हैं? 

  एकाएक मैंने देखा तो वह मुस्कुरा रही थी। मैं उसे देखने लगा। उसने दोनों हाथ जोड़कर नमस्कार किया। जल्द ही ना जाने क्यों मुझे लगा कि शायद वह मुझसे नमस्ते नहीं कर रही है, बल्कि मेरे पीछे आ रहे आगे पढ़ें


ख़मीर

  पुस्तकालय में उस समय अच्छी-ख़ासी भीड़ थी।  इश्यू काउंटर पर अतिव्यस्त होने के कारण सुधा मुझे पुस्तकालय में प्रवेश करते हुए नहीं देख पायी।  चपरासी द्वारा मैंने ही उसे संदेश भिजवाया कि उसके निर्देशक के कमरे में मैं उसकी आगे पढ़ें


हास्य/व्यंग्य

चलो बुलावा आया है

चलो बुलावा आया है

  चलो बुलावा आया है, दिल्ली ने बुलाया है। इनकी निगाहें दिल्ली पर टिकी हुई हैं। क्या नेता, क्या लेखक, क्या कलाकार—सबकी नज़रें दिल्ली की ओर लगी रहती हैं। जैसे गली-गली में आवारा घूम रहा आशिक़, जो बस दिल्ली के आगे पढ़ें


नवदुर्गा महोत्सव और मोबाइल

  नवदुर्गा की धूम है। चारों ओर भक्ति का माहौल, पंडालों की सजावट और माता रानी के जयकारे . . . यह सब तो सदियों से होता आ रहा है। लेकिन इस बार का नवरात्रि महोत्सव कुछ अलग है। इस आगे पढ़ें


प्रोफ़ाइल पिक की देशभक्ति

  देशभक्ति का नया अध्याय अब सोशल मीडिया पर शुरू होता है। यहाँ न बॉर्डर पर जाकर गोली खाने की ज़रूरत है, न सड़कों पर नारे लगाने की। यहाँ बस एक क्लिक और एक प्रोफ़ाइल पिक्चर की देशभक्ति है।  कुछ आगे पढ़ें


हाय रे! प्रेम में बकरा होते पति 

  हे समाज में आजतक अपना जैसे कैसे वर्चस्व बनाए रखने वाले पतियो! लगता है, आज हम सब पर विपदा नहीं, घोर विपदा आन पड़ी है। पर हम चाहकर भी कुछ नहीं कर सकते। लगता है विपदा की इन घोर आगे पढ़ें


आलेख

अत्यधिक टाइट जींस पहनने वाली महिलाएँ हो सकती हैं मेराल्जिया पैरास्थेटिका की शिकार

  स्वास्थ्य के बदले फ़ैशन करने के ख़िलाफ़ लाल बत्ती   पतली दिखने की चाहत में महिलाएँ स्किन टाइट जींस पहन कर अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रही हैं। लंबे समय से चल रही त्वचा से चिपक जाए इतनी आगे पढ़ें


आधुनिक स्त्री और हिंदी साहित्य

  समय बदलता है तो सोच भी बदलती है और फिर यही सोच उस समय के साहित्य में झलकती है। आधुनिक युग में स्त्री की भूमिका और उसकी पहचान में गहरा परिवर्तन आया है।  पहले जहाँ स्त्री केवल परिवार और आगे पढ़ें


आसुरी शक्ति पर दैवी शक्ति की विजय-नवरात्र और दशहरा

  नवरात्र के दिन शक्ति की उपासना करने के दिन होते हैं। जगत में कोई भी नैतिक मूल्य केवल अच्छे होने से नहीं टिकते। उनके अस्तित्व को बनाए रखने के लिए उनके पीछे समर्थ लोगों की तपस्या का होना आवश्यक आगे पढ़ें


कहानी: शिक्षा का ब्रह्मास्त्र

  यदि आप किसी बच्चे को नैतिक मूल्य सिखाना चाहते हैं, तो उसे कहानी सुनाइए। हम सभी को याद है कि बचपन में दादी-दादा या नाना-नानी कितनी आत्मीयता और उत्साह से कहानियाँ सुनाया करते थे। ये कहानियाँ हमारे मासूम मन आगे पढ़ें


डीपफ़ेक डिटेक्टर: एआई के दुष्प्रभाव से उभरता हुआ नया बिज़नेस

  आजकल एआई की मदद से ऐसे नक़ली ऑडियो, वीडियो और फोटो बनाना आसान हो गया है, जो असली जैसे लगते हैं। यह ट्रेंड ख़तरनाक है और इससे बचने के लिए टेक्नॉलोजी एक्सपर्ट्स ने जो समाधान निकाला है, उसे कहते आगे पढ़ें


त्योहार के मूल को भुला कर अब लोग फ़न, फ़ूड और फ़ैशन की मस्ती में चूर

  दुनिया के विकसित देशों में दंभ, भ्रष्टाचार, तनाव, अपराध, मिलावट, नैतिक अद्यपतन और मानसिक तनाव का प्रकोप क्यों है?    नवरात्र का अर्थ है नौ चक्र, नौ ग्रह, नौ नकारात्मक वृत्तियों पर विजय पाने का अवसर; माता दुर्गा ने आगे पढ़ें


दीपावली! परंपरा नहीं, कर्म की प्रेरणा का अवसर

    दीपावली का पर्व निकट ही है। विजयादशमी और उसके बाद दीपावली आती है। दशहरा अर्थात्‌ विजयादशमी के बीच में अन्तर भले ही लगभग बीस दिन का रहता हो किन्तु दोनों को आपस में संबन्धित माना जाता है। विजयादशमी आगे पढ़ें


बरगद और पीपल

  आज की दुनिया में चमक-दमक, तेज़ी और ‘इंस्टेंट’ उपलब्धियों का आकर्षण इतना बढ़ गया है कि गहराई, स्थिरता और धैर्य जैसे शब्द धीरे-धीरे हाशिये पर जाते लगते हैं। सोशल मीडिया की हर ‘ट्रेंड’ बनती संस्कृति, त्वरित प्रसिद्धि और तात्कालिक आगे पढ़ें


ब्राउन कुड़ी वेल्डर गर्ल हरपाल कौर

ब्राउन कुड़ी वेल्डर गर्ल हरपाल कौर

पंजाब के लुधियाना और जालंधर के बीच ‘गुरा’ नाम का एक छोटा-सा शहर है। शनिवार की शाम वहाँ वेल्डिंग की एक दुकान में हाथ में वेल्डिंग का औज़ार लिए एक युवती ट्रैक्टर के इंजन में वेल्डिंग करती मिल जाएगी। उसके आगे पढ़ें


भारत और नीदरलैंड की लोक-कथाओं का तुलनात्मक विवेचन

  डॉ. ऋतु शर्मा ननंनपांडे द्वारा ‘नीदरलैंड की चर्चित कहानियाँ’ वहाँ की प्रसिद्ध लोककथाओं का संकलन है, जो सन् 2025 में आईसेक्ट पब्लिकेशन्स, भोपाल से प्रकाशित हुआ है। इस संकलन में नीदरलैंड की प्रसिद्ध 13 लोककथाएँ हैं, जिससे वहाँ की आगे पढ़ें


शुषा फ़ॉन्ट: ऑनलाइन हिंदी साहित्य की डिजिटल उड़ान का अनसुना इंजन! 

कल्पना कीजिए, 1990 के अंत और 2000 की शुरूआत का दौर। इंटरनेट अभी-अभी भारत में पंख फैला रहा था, लेकिन हिंदी? वो तो जैसे डिजिटल दुनिया की साइडलाइन पर खड़ी थी। वेबसाइट्स अंग्रेज़ी में चमक रही थीं, मगर हिंदी साहित्य–कविताएँ, आगे पढ़ें


श्राद्ध . . . कृतज्ञता और आशीर्वाद का सेतु

  भारतीय संस्कृति में संस्कार शब्द केवल अनुष्ठानों तक सीमित नहीं है। यह व्यक्ति के जीवन के उन क्षणों को भी समेटे हुए है, जहाँ वह अपने भीतर झाँकता है, अपनी जड़ों को पहचानता है और अपने अस्तित्व को गहराई आगे पढ़ें


साहित्य अकादमी का कलंक

  “न्याय के बिना प्रतिष्ठा सम्भव नहीं, मौन अब अपराध है”    साहित्य अकादमी पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोप केवल एक व्यक्ति की विफलता नहीं, बल्कि पूरे साहित्यिक समाज की परीक्षा है। अदालत ने माना है कि पद का आगे पढ़ें


स्त्री और पुरुष का रिश्ता: सम्मान या दंभ

  आज सुबह भी जब कमला आई तो बड़े ग़ुस्से में थी। क्रोध और दर्द से उसका चेहरा तमतमा रहा था। पता नहीं क्या-क्या बड़बड़ा रही थी? बोलते-बोलते काम में लग गई पर इसकी झल्लाहट ख़त्म नहीं हुई। मैंने पूछा आगे पढ़ें


समीक्षा

एक अकेला पहिया: एक समीक्षा

एक अकेला पहिया: एक समीक्षा

समीक्षित पुस्तक: एक अकेला पहिया (नवगीत-संग्रह) ISBN: 978-93553-693-90,  कवि: अवनीश सिंह चौहान प्रकाशक: प्रकाश बुक डिपो, बरेली, फोन :  0581-3560114 प्रकाशन वर्ष : 2024,  संस्करण : प्रथम (पेपरबैक),  पृष्ठ : 112,  मूल्य: ₹250/- Available At: AMAZON: CLICK LINK PBD: CLICK LINK आगे पढ़ें


डॉ. रमा द्विवेदी की ‘खंडित यक्षिणी’ कहानी संग्रह में स्त्री-जीवन और सामाजिक यथार्थ का संवेदनात्मक चित्रण

डॉ. रमा द्विवेदी की ‘खंडित यक्षिणी’ कहानी संग्रह में स्त्री-जीवन और सामाजिक यथार्थ का संवेदनात्मक चित्रण

  समीक्षित पुस्तक: खंडित यक्षिणी (कथा संग्रह) लेखिका: डॉ. रमा द्विवेदी प्रकाशक: शब्दांकुर प्रकशन, दिल्ली पृष्ठ संख्या: 122 मूल्य: ₹300.00 कहानी कहने-सुनने की आदिम परंपरा मानव के हज़ारों सालों के विकास के पश्चात् भले ही परिवर्तित हो चुकी है, किन्तु कहानी आगे पढ़ें


मानवीय संवेदनाओं, रिश्तों, पीड़ा और पुनर्जीवन की आकांक्षा का दस्तावेज़

मानवीय संवेदनाओं, रिश्तों, पीड़ा और पुनर्जीवन की आकांक्षा का दस्तावेज़

कविता संग्रह: 'उम्मीद की तरह लौटना तुम'  लेखक: पंकज सुबीर प्रकाशक: शिवना प्रकाशन, सीहोर (म.प्र.) वर्ष: 2025 मूल्य: ₹300 रुपये  पृष्ठ: 184 खरीदें: उम्मीद की तरह लौटना तुम (क्लिक लिंक)   पंकज सुबीर का कविता संग्रह ‘उम्मीद की तरह लौटना आगे पढ़ें


संस्मरण

हवाल हवाई का

हवाल हवाई का

  प्रिय पाठक, आप मेरे द्वारा अनूदित इतालवी लोक कथाएँ पिछ्ले अंकों में शायद पढ़ रहे हों। जुलाई के महीने में अमेरिका में रहने वाले अपने पुत्र के सौजन्य से हमें हवाई द्वीप समूह के ‘बिग आईलैंड’ की सैर करने आगे पढ़ें


कविताएँ

शायरी

समाचार

साहित्य जगत - विदेश

यॉर्क, यूके में भारतीय प्रवासी समुदाय का ऐतिहासिक काव्य समारोह

यॉर्क, यूके में भारतीय प्रवासी समुदाय का ऐतिहासिक काव्य समारोह

16 May, 2025

  दिनांक: 26 अप्रैल 2025 स्थान: यॉर्क, यूनाइटेड किंगडम 26 अप्रैल 2025 को यॉर्क इंडियन कल्चरल एसोसिएशन के तत्वावधान में…

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हिन्दी राइटर्स गिल्ड कैनेडा द्वारा आयोजित ‘राम तुम्हारे अनंत आयाम’ की रिपोर्ट

हिन्दी राइटर्स गिल्ड कैनेडा द्वारा आयोजित ‘राम तुम्हारे अनंत..

4 May, 2025

  हिन्दी राइटर्स गिल्ड कैनेडा द्वारा रामनवमी के पावन अवसर पर ‘राम तुम्हारे अनंत आयाम’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया।…

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24 वाँ अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन नेपाल

24 वाँ अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन नेपाल

6 Mar, 2025

  भाषा जितना विस्तारित, समृद्धि उतनी ही नेपाली और हिंदी की जननी एक ही संस्कृत  हिंदी को मान्यता देने से…

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साहित्य जगत - भारत

दुष्यंत संग्रहालय में शान्ति-गया स्मृति सम्मान समारोह-2025 सम्पन्न

दुष्यंत संग्रहालय में शान्ति-गया स्मृति सम्मान समारोह-2025..

4 Oct, 2025

अपने आसपास और समाज की चिंता करना साहित्यकारों का दायित्व—डॉ. ऊर्मिला शिरीष    भोपाल।  “अपने समाज और आसपास की चिंता…

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भव्यता से मना पं. हरप्रसाद पाठक-स्मृति अखिल भारतीय साहित्य पुरस्कार समिति मथुरा का साहित्यकार सम्मान समारोह-2025

भव्यता से मना पं. हरप्रसाद पाठक-स्मृति अखिल भारतीय साहित्य..

21 Sep, 2025

  * समारोह में 42 साहित्यकार हुए सम्मानित।  * सनातन धर्म एवं संस्कृति पर हुए व्याख्यान * नव प्रकाशित 9…

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एक शाम कवियों के नाम: युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच 

एक शाम कवियों के नाम: युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच 

17 May, 2025

युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच (पंजीकृत न्यास) आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना राज्य शाखा की उन्नीसवीं काव्यगोष्ठी 13 अप्रैल 2025 (रविवार) 3:30…

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साहित्य जगत - भारत

कुछ राब्ता है तुमसे—राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न

कुछ राब्ता है तुमसे—राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न

9 Oct, 2025

  हैदराबाद, 8 अक्टूबर, 2025। मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के गच्ची बावली स्थित दूरस्थ एवं ऑनलाइन शिक्षा केंद्र के…

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युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच संगोष्ठी संपन्न— ‘समकालीन व्यंग्य: चुनौतियाँ और सीमाएँ’

युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच संगोष्ठी संपन्न— ‘समकालीन व्यंग्य:..

21 Sep, 2025

युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच (पंजीकृत न्यास) आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना राज्य शाखा की वर्चुअल बीसवीं संगोष्ठी 27 जुलाई-2025 (रविवार) 3।…

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केरल की पाठ्यपुस्तकों में त्रिलोक सिंह ठकुरेला की रचनाएँ सम्मिलित 

केरल की पाठ्यपुस्तकों में त्रिलोक सिंह ठकुरेला की रचनाएँ सम्मिलित 

18 May, 2025

  साहित्यकार एवं रेलवे इंजीनियर ‘त्रिलोक सिंह ठकुरेला की रचनाएँ केरल राज्य की विभिन्न पाठ्यपुस्तकों में सम्मिलित की गयी हैं। …

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