• विशेषांक

    कैनेडा का हिंदी साहित्य
    कैनेडा का हिंदी साहित्य कैनेडा का नाम भारत में और विशेष रूप से पंजाब प्रांत में बहुत आत्मीयता से लिया जाता है।.. आगे पढ़ें
अच्छा लगता है
कवयित्री: डॉ. मधु संधु - अच्छा लगता है

साहित्य कुञ्ज के इस अंक में

कहानियाँ

किट्टी पार्टी

“सुनो, तुम आज खाना जल्दी खा लेना, आज घर में किट्टी पार्टी है। तुम सोमिल को लेकर आज कमल भैया के यहाँ चले जाना, हाँ!” महेश ने यह सुना तो बिना कोई जवाब दिए, अपनी खीज को छिपाते हुए मुँह आगे पढ़ें


जब माँ बनी बेटी

  अजय को याद है, वो शाम कितनी अजीब सी थी। जैसे कुछ गड़बड़ था, लेकिन वो समझ नहीं पा रहा था कि क्या। वह अपने ऑफ़िस में था, घर से क़रीब 300 किलोमीटर दूर। सुबह से ही उसे कुछ आगे पढ़ें


धर्मपु़त्र

(नीहारिकाः मार्च 1963) प्रेषक: अमिताभ वर्मा भोला और सुहागी, दोनों ही नाम अब निरर्थक हो गये थे। न तो भोला का भोलेपन से कोई सम्बन्ध रह गया था और न सुहागी का सुहाग अथवा सौभाग्य से। बचपन में भोला में आगे पढ़ें


प्राइवेट बीवी

  चार दिनों से मैं भारत दूर संचार निगम लिमिटेड के ऑफ़िस का चक्कर लगा लगा कर थक चुका था। आज पाँचवाँ दिन था। अब ख़ुद मुझे चक्कर आने लगा था। मेरा बैंकिंग, नेटवर्किंग और ईमेल का सारा काम रुक आगे पढ़ें


सुदर्शना

  यह एक छोटा-सा गाँव है नरहरपुर। कहने को तो यह गाँव ही है। गाँव के सभी चिह्न भी यहाँ मौजूद हैं . . . जैसे गाँव के पश्चिम दिशा में दस-बारह फर्लांग की दूरी पर गाँव का बड़ा पोखर, आगे पढ़ें


क़ब्ज़े पर

  अपनी दूसरी शादी के कुछ समय बाद पापा मुझे मेरी नानी के घर से अपने पास लिवा ले गए।  “यह तुम्हारी स्टेप-मॉम है,” अपने टॉयलेट के बाद जब मैं लाउन्ज में गई तो पापा ने मुझे स्टेप-मॉम से मिलवाया। आगे पढ़ें


ख़ज़ाना

सुमावती की नज़र जैसे ही उस ख़ूबसूरत नक़्क़ाशीदार अखरोट की लकड़ी के दरवाज़े पर पड़ी, उसे ऐसा महसूस हुआ मानो किसी ने उसके दिल को लोहे की मुट्ठी में जकड़ लिया हो। वह पल भर के लिए जड़वत हो गई, आगे पढ़ें


हास्य/व्यंग्य

कृत्रिम वार्ता—एआई मेरे भाई

कृत्रिम वार्ता—एआई मेरे भाई

एक गणेश महोत्सव के पंडाल में उपस्थित था। धार्मिक लेकिन रंगारंग कार्यक्रम चल रहा था। एक लोकल न्यूज़ चैनल के प्रवक्ता अपने साइड बिज़नेस एंकरिंग का काम कर रहे थे। महाशय द्वारा गला फाड़-फाड़ कर कुछ प्रश्न पूछे जा रहे आगे पढ़ें


लखनऊ का संत

  बरसों पहले लखनऊ के एक ख्यातिलब्ध साहित्यकार ने “विश्रामपुर का संत” नामक एक विराट कथा लिखकर ख़ूब प्रसिद्धि बटोरी थी। अब लखनऊ कुछ दूसरी वजहों से चर्चा में है।  “लखनऊ है तो महज़  गुम्बदो मीनार नहीं,  सिर्फ़ एक शहर आगे पढ़ें


शर्म से मौत

  एक बार एक नया-नया जवान हुआ साँप, एक नेता जी के द्वार पर आकर उन पर गालियों की बौछार करने लगा। कारण, कुछ साल पहले जब वह छोटा था, उसका दादा इन्हीं नेताजी की लाठी का शिकार हुआ था। आगे पढ़ें


आलेख

अपराधियों का महिमामंडन एक चिंताजनक प्रवृत्ति

  जब अपराध को ग्लैमराइज़ किया जाता है, तो यह एक मिसाल क़ायम करता है जहाँ युवा अवैध गतिविधियों को सफलता और मान्यता के मार्ग के रूप में देखते हैं, जिससे सामाजिक नैतिकता प्रभावित होती है। ऐसी फ़िल्में जो अपराधियों आगे पढ़ें


छठ पर्व मनाएँ मगर सावधानी से

  छठ पर्व आ गया है और उसके साथ तैयारी भी शुरू हो गई है। ज़ाहिर है ऐसे मौक़े पर ख़ुशियों का पारावार नहीं रहता। हर व्यक्ति के दिल में आनंद और उत्साह और उसके साथ एक अलग भक्ति जो आगे पढ़ें


भैया दूज की प्रासंगिकता

  भैया दूज भारतीय संस्कृति में भाई-बहन के स्नेह और रिश्ते को समर्पित एक विशेष पर्व है। दीपावली के पाँचवें दिन मनाया जाने वाला यह त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है। इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है, आगे पढ़ें


रविदास जी का साहित्य

  सामाजिक एवं धार्मिक विषमताओं बाह्याडम्बरों पर निर्मम प्रहार करने के साथ-साथ प्रेम-मूलक भक्ति की सरस एवं गहन धारा प्रवाहित करनेवाले संत रविदास का व्यक्तित्व हिन्दी साहित्य में बहुत विचित्र और विवादास्पद रहा है। रविदासी संप्रदाय के लोगों में उनके आगे पढ़ें


हाइकु का विकास और सौंदर्य

  हाइकु लम्बी कविता नहीं है, यह सत्रह वर्णीय होकर भी सम्यक है। अधूरापन इसमें नहीं है और यह सौंदर्य की अभिव्यक्ति सम्पूर्णता से करती है। यह कविता त्रयी (विलक्षण सौंदर्यबोध, साहित्य परम्पराबोध, विरल स्वाद बोध) के चौखटे में रहकर आगे पढ़ें


संस्मरण

मुनस्यारी (उत्तराखण्ड) यात्रा – 01

  ऊँचे पर्वतों से बीच-बीच में बात करने को मन करता है। हिमालय देखने के लिए मन होता है, गगनचुम्बी। बंगाल के बहुत पर्यटक दिख रहे हैं। जागेश्वर में देवदार वृक्ष नहीं कटे हैं, यह देखकर अच्छा लगा। कहा जाता आगे पढ़ें


श्याम भैया: वे मेरे बचपन के हीरो भी थे, गाइड भी! 

श्याम भैया: वे मेरे बचपन के हीरो भी थे, गाइड भी! 

  मेरी कहानियों में नंदू भैया अक्सर आते हैं। ख़ूब गोल-मटोल से नटखट और शरारती नंदू भैया। ज़िन्दगी से लबालब। खाने-पीने, ख़ूब बढ़िया पहनने-ओढ़ने और हर नई चीज़ के शौक़ीन। थोड़ा सा रोब, मगर ख़ासी मस्ती भी। ये नंदू भैया आगे पढ़ें


कविताएँ

शायरी

समाचार

साहित्य जगत - विदेश

डॉ. मनीष कुमार मिश्रा उज़्बेकिस्तान में खोज रहे हैं हिंदी की नई बोलियाँ

डॉ. मनीष कुमार मिश्रा उज़्बेकिस्तान में खोज रहे हैं हिंदी की..

7 Oct, 2024

माना जाता है कि दूसरी शताब्दी के आस पास कुछ घुमंतू जातियाँ मध्य एशिया, अफ़्रीका, यूरोप और अमेरिका की तरफ़…

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उज़्बेकिस्तान में एक दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद संपन्न

उज़्बेकिस्तान में एक दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद संपन्न

23 Sep, 2024

  बुधवार, दिनांक 18 सितंबर 2024 को लाल बहादुर शास्त्री संस्कृति केन्द्र, ताशकंद, उज़्बेकिस्तान में आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद…

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वैश्विक स्तर पर हिंदी भाषा का योगदान विषयक त्रि-दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्षेत्रीय हिंदी सम्मेलन संपन्न 

वैश्विक स्तर पर हिंदी भाषा का योगदान विषयक त्रि-दिवसीय अंतरराष्ट्रीय..

14 Sep, 2024

त्रिनिदाद यात्रा से डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा की रिपोर्ट हिंदी है हृदय की भाषा: रेणुका संग्रामसिंह सुखलाल व्यावहारिक स्तर पर हिंदी…

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साहित्य जगत - भारत

34वीं तमिलनाडु राज्य स्तरीय रोलर स्केटिंग चैम्पियनशिप में स्वर्ण

34वीं तमिलनाडु राज्य स्तरीय रोलर स्केटिंग चैम्पियनशिप में..

24 Oct, 2024

चेन्नई,  20.10.2024  तमिलनाडु रोलर स्केटिंग एसोसिएशन द्वारा चेन्नई स्थित शेनोय नगर स्केटिंग रिंक में 34वाँ तमिलनाडु राज्य स्तरीय रोलर स्केटिंग…

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हिंदी साहित्य में सूफ़ी संतों का योगदान-संगोष्ठी संपन्न—युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच

हिंदी साहित्य में सूफ़ी संतों का योगदान-संगोष्ठी संपन्न—युवा..

23 Oct, 2024

युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच (पंजीकृत न्यास) आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना राज्य शाखा की वर्चुअल सत्रहवीं संगोष्ठी 13 अक्टूबर 2024 (रविवार)…

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दीप्ति जी के पात्र अपने वुजूद के लिए नहीं बल्कि जीवनमूल्यों और संस्कारों को बचाने के लिए संघर्ष करते हैं—शीन काफ़ निज़ाम

दीप्ति जी के पात्र अपने वुजूद के लिए नहीं बल्कि जीवनमूल्यों..

23 Aug, 2024

  जाने-माने आलोचक डॉ. कौशलनाथ उपाध्याय द्वारा सम्पादित आलोचना ग्रन्थ ‘कथाकार दीप्ति कुलश्रेष्ठ: सृजन के विविध आयाम’ के लोकार्पण का…

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साहित्य जगत - भारत

राष्ट्रपाल गौतम के एकांकी नाटक ‘गोबर के गेहूँ’ पर परिचर्चा 

राष्ट्रपाल गौतम के एकांकी नाटक ‘गोबर के गेहूँ’ पर परिचर्चा 

24 Oct, 2024

  नव दलित लेखक संघ, दिल्ली ने ‘नाटक और कविता की संगत’ नामक गोष्ठी का आयोजन किया। गोष्ठी में सर्वप्रथम…

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चेतना साहित्य मंच के बैनर तले पुस्तक विमोचन समारोह

चेतना साहित्य मंच के बैनर तले पुस्तक विमोचन समारोह

21 Sep, 2024

  गाडरवारा की भूमि साहित्य की रत्नगर्भा भूमि है—श्रीमती स्थापक    महाराणा प्रताप कॉलेज के ऑडिटोरियम में चेतना साहित्य मंच…

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चित्रकला के माध्यम से बिखेरे मन के रंग

चित्रकला के माध्यम से बिखेरे मन के रंग

20 Aug, 2024

  अलीगढ़। ‘अभिनव बालमन’ द्वारा मांती बसई स्थित ‘बोहरे द्वारिका प्रसाद शर्मा इंटर कॉलेज’ में ‘मेरा मन मेरे रंग’ का…

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