युग शिल्पियों का व्यंग्य
अभिषेक पाण्डेयबुनकर टाँग दिया है मैंने
स्वेटर अपनी कविता का,
तुम नया डिज़ाइन लगवाकर
इसको अपनी कह लेना,
शब्दों में कुछ हेर फेर कर,
भावों को कुछ टेर टेर कर,
जगह बहुत है मेरे घर में,
आ जाना तुम भी रह लेना . . .
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