युग शिल्पियों का व्यंग्य

01-07-2022

युग शिल्पियों का व्यंग्य

अभिषेक पाण्डेय (अंक: 208, जुलाई प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

बुनकर टाँग दिया है मैंने 
स्वेटर अपनी कविता का, 
तुम नया डिज़ाइन लगवाकर 
इसको अपनी कह लेना, 
 
शब्दों में कुछ हेर फेर कर, 
भावों को कुछ टेर टेर कर, 
जगह बहुत है मेरे घर में, 
आ जाना तुम भी रह लेना . . .

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