तेरा प्रतिबिंब

15-04-2023

तेरा प्रतिबिंब

निर्मल कुमार दे (अंक: 227, अप्रैल द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

पाती तुम्हारे प्यार की
दिल में सँजोए रखी है; 
ऋतुराज-सा चिरहरित
तुम्हारा निर्मल प्यार
तुम्हारे मीठे बोल
तुम्हारी आँखें
मधुर स्पर्श
ज्यों
दूब पर पड़ी ओस। 
स्मृति के आईने में
देखता हूँ नित
तेरा प्रतिबिंब
सखी! 
काश जीवन में होता सिर्फ़
बसंत
न होता पतझड़
बर्फ़-सा निर्मम! 

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