साथ-साथ

01-02-2023

साथ-साथ

निर्मल कुमार दे (अंक: 222, फरवरी प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

चलो साथ चलते हैं
दूर तलक चलते हैं। 
 
सफ़र चाहे लंबा हो
मंज़िल ऊँची ज़रूर हो
चलो साथ चलते हैं
दूर तलक चलते हैं। 
 
हाथों में हाथ हों
आँखों में आँखें हों
भाव से भरा हृदय
रूहानी जज़्बात हों
चलो साथ चलते हैं
दूर तलक चलते हैं। 
 
तुम बनो कविता मेरी
मैं तेरा शब्द चित्र बनूँ
दूर पहाड़ी में कहीं
एक कुटिया बनाते हैं
चलो साथ चलते हैं
दूर तलक चलते हैं

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