बहू की भूमिका

15-04-2021

बहू की भूमिका

निर्मल कुमार दे (अंक: 179, अप्रैल द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

लॉक डाउन की वजह से कहीं आने जाने की मनाही के बाद बासठ वर्षीय अमिताभ बाबू दिन प्रतिदिन कमज़ोर और उदास हो चले थे।

अनूप ने एक दिन अपनी पत्नी से इस बात की चर्चा की। शादी हुए अभी दो ही महीने हुए थे।

अनूप की पत्नी कंचन ने सारी बातें सुन अपने पति से कहा,"पिताजी की हॉबी क्या रही है?"

"पिताजी टीवी देखने से ज़्यादा किताबें पढ़ना पसंद करते हैं। रिटायरमेंट के पहले दो तीन अख़बार भी पढ़ते थे।"

"गीत संगीत में भी रुचि है क्या?"

"ख़ुद तो गाते नहीं है लेकिन पुराने ज़माने के फ़िल्मी गीत सुनना पसंद करते हैं," अनूप ने कहा।

"कुछ लिखने का भी शौक़ रहा है पिताजी को?" कंचन ने जानना चाहा।

"पहले लिखा करते थे लेकिन बहुत वर्षों से लिखते हुए नहीं देखा," अनूप ने जवाब दिया।

"आप कल बाबूजी को एक अच्छी नोट बुक और क़लम देकर लिखने के लिए प्रोत्साहित करें। आप कहेंगे तो उसे आपत्ति नहीं होगी। साथ ही एक डिब्बा च्यवनप्राश ख़रीद लाइए और हाँ सन्ज़ी के साथ नींबू ज़रूर ख़रीद कर लाएँ। फिर बाबूजी की देखभाल मैं करती हूँ।"

कंचन और अनूप ने पूरा ध्यान लगा दिया अपने पिताजी के देखभाल में। लॉक डाउन की वजह से माँ और पिताजी अलग-अलग जगह पर फँस गए थे। माँ छोटे बेटे के साथ गाँव में थी।

अगले दिन कंचन ने सुबह गुनगुने पानी में नींबू पानी देने के बाद लाल चाय दी अपने ससुर को। फिर दो अख़बार लेकर आई।

"बाबूजी,आप तो बहुत कुछ लिख सकते हैं। आप पहले लिखते थे।"

"पहले लिखा करता था," अमिताभ बाबू ने कहा।

"तो अब क्यों नहीं, देखिए आपके लिए नोट बुक और क़लम ला दिया है। आप कम से कम अपनी पुरानी यादें लिख ही सकते हैं।"

बहू की बातों से अमिताभ बाबू ख़ुश नज़र आए।

"ठीक कहती हो बेटा, वाह बहुत सुंदर नोट बुक और क़लम है।" 

इतने में अनूप भी आ गया।

"पिताजी,आपको लिखने का शौक़ रहा है। आप लिखिए। मैं मोबाइल में कुछ ऐप जोड़ देता हूँ और साहित्यिक ग्रुप से आपको जोड़ देता हूँ। ख़ूब मन लगेगा। आपका स्वस्थ रहना बहुत ज़रूरी है," अनूप ने कहा।
"जब भी मन करे आप अपने पसंद के गीतों को भी सुन सकते हैं। एक नया मोबाइल आज ही आ जाएगा। आपके लिए ऑनलाइन ऑर्डर कर दिया है।"

"क्यों ऑर्डर दिया, मेरे पास एक है न?" अमिताभ बाबू ने कहा।

"पिताजी आपके लिए एक नया मोबाइल चाहिए था जिसमें कुछ नए ऐप हों। आपके लिए च्यवनप्राश ला दिया है। लॉक डाउन के कारण अभी आप बाहर नहीं जा पा रहे हैं। सुबह शाम घर पर ही योगासन कीजिए। कंचन आपका पूरा ध्यान रखेगी," अनूप ने कहा।

"हाँ बाबूजी मैं आपकी बहू ही नहीं बेटी भी हूँ," कंचन ने कहा।

कंचन की बात सुन अमिताभ बाबू बहुत ख़ुश हुए। आशीर्वाद देते हुए कहा,"सदा सुखी रहो बेटा,भगवान की कृपा सदा बनी रहे।"

अनूप को विश्वास हो गया कि पिताजी के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार ज़रूर होगा।

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

लघुकथा
कविता
कविता - क्षणिका
अनूदित कविता
कविता - हाइकु
हास्य-व्यंग्य कविता
कविता-मुक्तक
किशोर साहित्य लघुकथा
कहानी
सांस्कृतिक आलेख
ऐतिहासिक
रचना समीक्षा
ललित कला
कविता-सेदोका
साहित्यिक आलेख
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में