सुर्ख़ियाँ

01-04-2025

सुर्ख़ियाँ

निर्मल कुमार दे (अंक: 274, अप्रैल प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

एक पत्रिका के उप संपादक ने मेरी एक रचना अपनी पत्रिका में अपने नाम से छाप दी थी। 

इसकी सूचना मेरे एक पाठक मित्र ने दी। देखते-देखते यह ख़बर सोशल मीडिया और अख़बारों में वायरल हो गई। 

उप संपादक महाशय मेरे पास आए और माफ़ी माँगने लगे। 

मैंने हँसते हुए कहा, “माफ़ी! मुझे तो आपको धन्यवाद देना चाहिए। आपने मेरी रचना चोरी कर अपने नाम छापी और अख़बारों की सुर्ख़ियों में मेरा नाम आ गया।”

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