विडम्बना

01-07-2022

विडम्बना

निर्मल कुमार दे (अंक: 208, जुलाई प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

समाज की
सारी अच्छाइयाँ
धीरे धीरे
समाप्त होने लगती हैं
जब इंसान का
नैतिक पतन 
हो जाता है। 
 
नैतिक बल 
नहीं रह जाता है, 
सच को सच और
झूठ को झूठ
बोलने का। 
 
लोभ के वशीभूत
इंसान बन जाता है
कपटी और चाटुकार
छोड़ देता है दामन सच का
और करने लगता है
झूठ की जयजयकार। 

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