निर्मल कुमार दे - मुक्तक - 001

15-09-2022

निर्मल कुमार दे - मुक्तक - 001

निर्मल कुमार दे (अंक: 213, सितम्बर द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

पेड़ काटना है आसान पेड़ लगा के देखिए
ज़हर उगलना है आसान अमृत घोल के देखिए
कब तक बाँटते रहोगे नफ़रत की आग लगाकर
कभी प्यार से दो शब्द मीठे बोल के देखिए। 
 
बहुत गिनती कर ली तूने, अब तौल के देखिए
मुट्ठी कब तक रखोगे बंद अब खोल के देखिए
अफ़सोस न रह जाए चिता पर जाने से पहले
एक नज़र तो डालो अपनी फ़सल के लिए। 
 
कितनी ईंटें जोड़ोगे अपने महल के लिए
रुको, ठहर जा, सोचो एक पल के लिए
ज़मींदोज़ हो जायेगा सब कुछ तेरा
क्या रख जाओगे तुम, बता कल के लिए। 

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