सफलता का राज़

01-06-2021

सफलता का राज़

निर्मल कुमार दे (अंक: 182, जून प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

माँ को प्रणाम कर नीरज साइबर कैफ़े पहुँचा। आज मैट्रिक का रिज़ल्ट निकलने वाला है। पाँच मिनट बाद ही रिज़ल्ट दिखने लगा। अपना रिज़ल्ट देख नीरज ख़ुशी से बाँसों उछल पड़ा। पूरे प्रदेश में उसका स्थान तीसरा था। 

"बहुत भाग्यशाली हो यार तुम, इतनी बड़ी सफलता की उम्मीद तो तुमने भी नहीं की होगी," दोस्त चंचल ने कहा।

कैफ़े के बाहर अपनी ही कक्षा की नेहा और उसकी माँ खड़ी थी। नीरज ने नेहा की माँ को प्रणाम किया। 

"बधाई हो बेटा,निरंतर आगे बढ़ते रहो। भाग्य ने तुम्हारा बहुत साथ दिया," नेहा की माँ ने कहा।

"जी आंटी, पिछली कक्षा में मैथ में मात्र 45 अंक मिले थे, मेरा आत्मविश्वास ही हिल गया था। माँ ने हिम्मत बढ़ाई और पढ़ाई में ज़्यादा समय देने की सलाह दी।" कुछ सेकंड चुप रहने के बाद नीरज ने कहा,"मैंने रात ग्यारह बजे तक पढ़ाई की पिछले एक साल से। और आश्चर्य कि मेरे साथ माँ भी जगी रहती थी।"

"माँ, नीरज ने मैथ के अलावा साईंस, अँग्रेज़ी और हिंदी में सौ में सौ अंक प्राप्त किए हैं," नेहा ने कहा।

"तुम्हारी मेहनत ने रंग लाई और माँ ने तुम्हारा भाग्य लिख दिया," नेहा की माँ ने अपनी पुरानी राय बदल दी।

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