गुदड़ी के लाल: गीतकार रतन कहार
निर्मल कुमार देमार्च 2020 में प्रसिद्ध गायक बादशाह 'गेंदा फूल' म्यूज़िक एल्बम से शोहरत की दुनिया के बादशाह बन गए। "बड़ लोकेर बीटि लो, लंबा लंबा चूल, एमन माथाय बेंधे देबो लाल गेंदा फूल" – इस गाने के मुखड़े ने सब का दिल जीत लिया।
यह गीत वास्तव में एक लोकगीत है, जिसे आप झूमर गीत भी कह सकते हैं। इसके रचयिता हैं एक अदना साधारण व्यक्ति, नाम है रतन कहार। पश्चिम बंगाल के बीरभूम ज़िले के सिउड़ी शहर के आसपास एक निषिद्ध पल्ली की कुमारी माँ और उसकी अपूर्वसुंदर बेटी की करुण कहानी से प्रेरित है यह गाना। गीतकार रतन कहार ने बताया है कि एक भाग्यहीन युवती किसी रईसज़ादे की वासना की शिकार हो जाती है और कुमारी माँ बन जाती है। उसकी बेटी का सौंदर्य किसी अप्सरा से कम नहीं। एकदिन अपनी बेटी के लंबे रेशमी बालों को लाल फीते से बाँध रही है और अपनी कहानी कह रही है। माँ को पता है उसकी बिटिया के बाप कौन हैं। बाप भी तो सुदर्शन चेहरे के मालिक हैं। बेटी बिल्कुल अपने माँ पर गई है।
रतन कहार ने एक लोकगीत लिखा। उसे सुर भी दिया। लाल फीते की जगह लाल गेंदा फूल लिखा। 1972 में आकाशवाणी के लोकगीत कार्यक्रम में गाया भी। 1976 में प्रसिद्ध लोकगीत गायिका स्वप्ना चक्रवर्ती ने इसे अपने अंदाज़ से गया। गीत सुपरहिट हुई।
यह बांग्ला लोकगीत बहुत ही प्रसिद्ध है, जिसे विभिन्न रूपों में प्रस्तुत कर दर्जनों ने लाखों रुपये कमाए, प्रसिद्धि पाई, परंतु ग़रीबी और बदहाली में जी रहे इस गीतकार को न पैसे मिले और न प्रसिद्धि। लोगों ने इनका उल्लेख तक नहीं किया।
मार्च 2020 को मशहूर गायक बादशाह ने इस गीत के मुखड़े को लेकर एक एल्बम बनाई जो ज़बरदस्त हिट रही। करोड़ों नहीं अरबों लोगों ने इसे पसंद किया। बांग्लादेश में भी यह गीत जनप्रियता के शिखर पर है। जेके मजलिस और बिंदु कोना ने इसे अलग से प्रस्तुत किया है।
जब सोशल मीडिया और विभिन्न मंचों से गीतकार के साथ की जा रही नाइंसाफ़ी की चर्चा होने लगी तो बादशाह ने इनके बैंक खाते में पाँच लाख रुपये जमा किए हैं, ऐसी सूचना मिली है।
बादशाह ने इनसे मिलकर और भी गीतों का एल्बम बनाने की इच्छा जताई है।
देर से ही सही रतन कहार को यश भी मिला और प्रतिभा का पुरस्कार भी।
1 टिप्पणियाँ
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निर्मल जी, बहुत अच्छा लेख है। उत्तम सूचना के लिए धन्यवाद
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