असामाजिक

15-12-2023

असामाजिक

निर्मल कुमार दे (अंक: 243, दिसंबर द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

“अनिल बाबू शिक्षित हो सकते हैं, शिक्षक की नौकरी में हैं पिछले बीस साल से, आर्थिक रूप से मज़बूत भी हो गए हैं, लेकिन बड़े असामाजिक हैं,” नवीन ने कहा। 

नवीन की बातें सुन बिपिन को आश्चर्य हुआ। उसे नवीन की बातों पर विश्वास नहीं हुआ क्योंकि उनके पिताजी अनिल बाबू के सहपाठी रह चुके हैं और अनिल बाबू की ख़ूब बढ़ाई करते हैं। 

“असामाजिक? कैसे?” बिपिन ने पूछा। 

“देखो न कई बार उन्हें मैंने अपने ग्रुपों में जोड़ने के लिए इन्वाइट किया; कभी रेस्पॉन्स नहीं दिया।”

“ओह यह बात है! चलो न एक दिन उनसे मिलते हैं उनके गाँव जाकर,” बिपिन ने कहा। 

“नहीं, मुझे उनके पास जाने की इच्छा नहीं है। उनकी विचारधारा मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है।”

नवीन के जवाब से कुछ क्षण के लिए चुप रहकर बिपिन ने कहा, “नवीन, किसी से वैचारिक मतभेद होने से उसे असामाजिक कह देना कहाँ तक उचित है?” 

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