भेदभाव

15-10-2023

भेदभाव

निर्मल कुमार दे (अंक: 239, अक्टूबर द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

पूनम की शादी लगभग तय मानी जा रही थी। ‘लड़का अच्छा जॉब में है, भाग्य से ही ऐसा मिलता है’ परिवार के सभी सदस्यों की ज़ुबान पर यह बात थी। 

“तुम ख़ुश नहीं दिखती?” माँ ने पूनम से एकांत में पूछा। 

“माँ! मेरी पढ़ाई अधूरी रह जायेगी। ग्रेजुएशन भी नहीं कर पाऊँगी,” पूनम की आँखें भरी हुई थीं। 

“बेटा! लड़की हो, ज़्यादा पढ़कर क्या करोगी? दादी की इच्छा है कि पोती की शादी देख लूँ। कब ऊपर से बुलावा आ जाए क्या पता!” माँ ने समझाने की कोशिश की। 

“दादी की इच्छा नहीं है, पोते की शादी देखने की? भैया की नौकरी भी लग गई है और मुझसे पांँच साल बड़े हैं,” पूनम ने दृढ़ता से कहा। 

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