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15-06-2022

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निर्मल कुमार दे (अंक: 207, जून द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

“अपने वार्ड से तीन उम्मीदवार खड़े हैं पंचायत समिति के सदस्य के लिए,” पति ने चाय की चुस्की लेते हुए कहा। 

“अच्छा, तब तो मुक़ाबला भी शानदार होगा!”पत्नी ने कहा। 

“बिल्कुल, सभी कर्मठ, ईमानदार, शिक्षित और समाजसेवी जो हैं!” पति ने चुटकी लेते हुए कहा। 

पत्नी कुछ कहती इसके पहले ही तीन हैंड बिल उसके हाथों में देते हुए पति ने कहा, “मिस्टर अ एक आदिवासी पहाड़िया औरत के साथ छेड़खानी करने के अपराध में जेल की हवा खा चुका है। मिस्टर ब भूतपूर्व मुखिया है जिसने पिछले पाँच सालों में लाखों कमाया है। ज़रूरतमंदों को सरकारी मदद दिलाने में, प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिलाने में बड़ी रक़म कमीशन में खायी है। उसने भी अपने को ईमानदार घोषित किया है।”

“और मिस्टर स?” 

” मिस्टर स की भी कहानी है। उसके चाचा की जन-वितरण प्रणाली की दुकान है। और उसकी ईमानदारी जग ज़ाहिर है! बीस किलो की जगह सत्रह किलो अनाज देता है कमीना,” पति ने ग़ुस्सा ज़ाहिर किया। 

 “तब जनता किसे वोट देगी?” पत्नी ने पूछा। 

“जनता के पास विकल्प कहाँ है? छद्मवेशी ईमानदारों का ज़माना है!” पति ने कहा। 

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