सर्दी

निर्मल कुमार दे (अंक: 205, मई द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

“फिर बारिश होने लगी मम्मी, तुम भीग जाओगी। चलो, कुछ देर सामने के मकान के बरामदे में रुक जाते हैं।”

“नहीं बेटा! स्कूल पहुँचने में तुम्हें देर हो जायेगी। हल्की बूँदा-बूँदी हो रही है।”

“माँ! मेरी छोटी-सी छतरी में तुम आ भी नहीं सकती। पानी से भीगने से तुम्हें सर्दी लग जायेगी।”

“मुझे सर्दी नहीं लगेगी बेटा।”

“कैसे . . .?” 

“मैं माँ हूँ ना बेटा।”

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