सरस सावन 

15-08-2024

सरस सावन 

निर्मल कुमार दे (अंक: 259, अगस्त द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

वसुधा अब सरस हुई
सावन की प्यास मिटी
चंचल नदी ली अंगड़ाई
चारों ओर छाई हरियाली। 
 
खिले कदंब महकी जूही
बिकने लगीं चूड़ियाँ हरी
पिया मिलन तरसे मन
बड़ी कठिन तेरी जुदाई। 
 
बचपन खेले पानी संग
कीचड़ सना उसका अंग
नव वधू सजाए मेहँदी
रति हर्षित, आयेंगे अनंग। 

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