एक अहसास 

01-01-2025

एक अहसास 

निर्मल कुमार दे (अंक: 268, जनवरी प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

कैसे भूल पाओगे मुझे
तेरी सांँसों में मेरी ख़ुश्बू है! 
तुम जिधर भी देखोगी
मेरी तस्वीर नज़र आएगी
कैसे भूल पाओगी
साथ निभाए लम्हे 
बारिश में भीगना
नदी का किनारा
हम साथ साथ चले
दूर बहुत दूर तक
ज्यों नदी चलती रही
पर सागर से नहीं
मिल पाई
मौन आमंत्रण था
पर एक झिझक रह गई
कहानी बन कर रह गया
तुम्हारा मेरा साथ। 

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