पहली पगार
निर्मल कुमार दे“चलो जी, इस रविवार को जनकपुर घूम आते हैं।”
पति की बात से अचंभित पत्नी ने कहा, “सच? अचानक आपने कैसे प्लान बना लिया। मेरी भी इच्छा थी परंतु आपकी व्यस्तता को देखकर प्रगट नहीं कर पाई।”
“जानेमन! व्यस्तता अपनी जगह है लेकिन ख़ास मौक़े को भी नज़रअंदाज़ कैसे कर दूँ?”
“मैं आपकी बात समझी नहीं?”
“बाबूजी ने कभी कहा था तुम्हें कि पढ़ाई कभी बेकार नहीं जाती।”
“जी, बाबूजी ने गाँव समाज की परवाह न कर मुझे शहर में पढ़ने भेजा था। आज इसी पढ़ाई ने हमारी सारी मुश्किलें दूर कर दीं। कंपनी बंद हो जाने से कुछ महीने तक आप बेरोज़गार हो गए थे।”
“और तुमने परिवार की हालत बिगड़ने नहीं दी। तुमने लोकल स्कूल में ज्वाइन कर लिया। तुम्हारी शैक्षणिक योग्यता आड़े समय में काम आई।”
पत्नी चुपचाप पति का चेहरा देख रही थी।
“अपनी पहली पगार तुम अपने पिताजी को देना नहीं चाहोगी?”
“मतलब?”
“एक लड़का अपनी पहली पगार अपने माता-पिता को ज़रूर देता है।”
“तो क्या हुआ . . .?”
“तुम बेटी हो, अपने माता-पिता के लिए किसी बेटे से कम तो नहीं। अपनी पहली पगार पिताजी को देकर एक नई मिसाल क़ायम करना।
पत्नी की आँखें गीली हो गईं, ”आपकी स्नेहिल भावना देख मेरा जीवन सार्थक हो गया। लेकिन पिताजी पैसे नहीं लेंगे।”
“पहले चलो तो . . . एक बेटी के बाप के गर्व पर मुहर लगाने का दायित्व मेरा होगा।”
पत्नी के चेहरे में ख़ुशी झलकने लगी।
0 टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
- लघुकथा
-
- अपने हिस्से का आसमान
- असामाजिक
- आँखें
- आत्मा की तृप्ति
- आस्तीन का साँप
- उदासी
- कचरे में मिली लक्ष्मी
- कबीरा खड़ा बाज़ार में
- कमी
- कश्मकश
- गुलाब की ख़ुश्बू
- घोड़े की सवारी
- चिराग़ तले अँधेरा
- चिरैया बिना आँगन सूना
- चेहरे का रंग
- जहाँ चाह वहाँ राह
- जीत
- जुगाड़
- जोश
- ठेकुआ
- डस्टबिन
- डाकिया
- तक़दीर
- दर्द
- दाँव
- दीये का मोल
- दो टूक बात
- धिक्कार
- धूप और बारिश
- धृतराष्ट्र अभी भी ज़िन्दा है
- नई दिशा
- नहीं
- नास्तिक
- नीम तले
- नीम हकीम ख़तरा-ए-जान
- पहचान
- पहली पगार
- पुरानी किताबें
- पुश्तैनी पेशा
- प्याजी
- प्यासा पनघट
- बदलाव
- बरकत
- बहू
- बहू की भूमिका
- बुड़बक
- ब्लड प्रेशर
- भीख
- भेदभाव
- महँगाई मार गई
- माँ की भूमिका
- मैं ज़िन्दा नहीं हूँ
- रँगा सियार
- लड़ाई
- लेटर बॉक्स
- विकल्प
- शुक्रगुज़ार
- संवेदना
- सतरंगी छटा
- सपने
- सफलता का राज़
- समझदारी
- सम्बन्ध
- सम्मान
- सर्दी
- सर्वनाश
- सुकून
- सौ रुपए की सब्ज़ी
- हैप्पी दिवाली
- ख़ुद्दारी
- फ़र्क़
- कविता - हाइकु
- कविता
-
- अन्याय का प्रतिरोध
- अरुण यह मधुमय देश हमारा
- आत्मग्लानि
- आसमानी क़िला
- आज़ादी
- कायर
- किराए का टट्टू
- चौराहा
- जनतंत्र के प्रहरी
- जिजीविषा
- जीना इसी का नाम है
- तुम नहीं आए
- तुम्हारा ख़त
- तेरा प्रतिबिंब
- पहली मुहब्बत
- मधुमास
- माँ
- वर्ण पिरामिड
- विडम्बना
- शुभ दीपावली
- सरस सावन
- साथ-साथ
- सावन की घटा
- सफ़र मेरा सुहाना हो गया
- क़लम और स्याही
- ख़ुश्बू पसीने की
- कविता - क्षणिका
- अनूदित कविता
- हास्य-व्यंग्य कविता
- कविता-मुक्तक
- किशोर साहित्य लघुकथा
- कहानी
- सांस्कृतिक आलेख
- ऐतिहासिक
- रचना समीक्षा
- ललित कला
- कविता-सेदोका
- साहित्यिक आलेख
- विडियो
-
- ऑडियो
-