निर्मल कुमार दे – क्षणिका  – 001

15-02-2024

निर्मल कुमार दे – क्षणिका  – 001

निर्मल कुमार दे (अंक: 247, फरवरी द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)


1.
बरसों बाद वह मिली
तो लगा सफ़र सुहाना हो गया
आँखें मिली दिल मिले
मिलन का अहसास हुआ। 
2.
न कभी प्रेम पत्र लिखा
न ही प्रपोज़ किया कभी
फिर भी ललक थी दिल में। 
तुम्हें बार-बार देखने की। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

लघुकथा
कविता
कविता - क्षणिका
अनूदित कविता
कविता - हाइकु
हास्य-व्यंग्य कविता
कविता-मुक्तक
किशोर साहित्य लघुकथा
कहानी
सांस्कृतिक आलेख
ऐतिहासिक
रचना समीक्षा
ललित कला
कविता-सेदोका
साहित्यिक आलेख
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में