नहीं

निर्मल कुमार दे (अंक: 192, नवम्बर प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

प्रवीर बाबू  मछली पट्टी पहुँचे और  हिल्सा मछलियों को  देर तक देखते रहे।

"हिल्सा क्या दर पर बेच रहे हो भाई?"

"बारह सौ रुपए किलो। एकदम ताज़ा मछली है।"

"और ये रोहू क्या दर है?"

"दो सौ पचास रुपए किलो।"

"एक किलो रोहू ही दे दो।"

प्रवीर बाबू की आँखें अभी भी हिल्सा मछलियों पर ही टिकी थीं।

"बाबू! आपकी इच्छा तो हिल्सा लेने की है?"

"नहीं," प्रवीर बाबू पॉकेट से पैसे निकालते हुए कहा।

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