ब्लड प्रेशर
निर्मल कुमार दे
दीपक बाबू का बीपी काफ़ी बढ़ा हुआ देख डॉक्टर राय ने पूछा, “कितने दिनों से आपका बीपी लेवल बढ़ा हुआ है?”
“सर रिटायरमेंट के पहले मैं बिल्कुल फ़िट था। बीपी शुगर सब सही था।”
“मतलब छह सात महीने से आपकी प्रॉब्लम है। धूम्रपान या ड्रिंक करते हैं?”
“नहीं कभी नहीं किया।”
“बुरा न मानें पत्नी, बेटों से सम्बन्ध ठीक है ना?”
“डॉक्टर साहब पारिवारिक माहौल बिल्कुल सुंदर है। पत्नी बच्चे काफ़ी केयरिंग हैं।”
“फिजिकल एक्सरसाइज़ करते हैं?”
“जी मॉर्निंग वॉक करता हूँ। अभी लॉक डाउन में कर नहीं पा रहा हूँ।”
“किसी से झगड़ा तर्क-वितर्क चलता है?”
“नहीं!”
“आपका शौक़?”
“पढ़ना और लिखना।”
“क्या पढ़ते और क्या लिखते हैं?”
“पहले किताबें अख़बार पढ़ा करता था, अब फ़ेसबुक और अख़बार के पीडीएफ़ से काम चल जाता है।”
“क्या लिखते हैं और कैसा लगता है?”
“कविता, लघुकथा आदि लिखता हूँ। अच्छा लगता है लेकिन प्रतियोगिता में भाग लेने के बाद कभी-कभी धड़कन बढ़ जाती है। अपने पोस्ट पर किसी के द्वारा ग़लत कॉमेंट कर दिए जाने पर काफ़ी परेशान हो जाता हूँ,” दीपक बाबू एक ही साँस में कह गए।
“ठीक है, मैंने कुछ दवाई लिख दी है, फ़ेसबुक और सोशल मीडिया से थोड़ा दूर रहें। गीत संगीत सुनें, उम्र नहीं है आपकी किसी कंपटीशन में भाग लेने की। सुबह शाम वॉक पर जाएँ, अभी छत पर ही टहलें,” डॉक्टर ने प्रिस्क्रिप्शन देते हुए कहा।
दीपक बाबू चैंबर से निकले। प्रिस्क्रिप्शन में कुछ मल्टीविटामिंस के टैबलेट लिखा देख दीपक बाबू निश्चिंत हो गए।
“शरीर के साथ मन पर भी ध्यान देने की ज़रूरत है,” दीपक बाबू ने गहरी साँस छोड़ते हुए कहा।
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