निर्मल कुमार दे
जमशेदपुर (झारखंड)
जन्मतिथि: 7 जनवरी 1958
शिक्षा: अँग्रेज़ी भाषा और साहित्य में स्नातक
प्रकाशन: हिंदी और बंगला भाषा में दर्जनों कहानियाँ, लघुकथाएँ, संस्मरण,यात्रा वृतांत और सम सामयिक विषयों पर लिखी रचनाएँ विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में छप चुकी हैं।
रुचि: लेखन,पत्रकारिता और भ्रमण। हिंदी साहित्य में गहरी अभिरुचि है।
सम्प्रति: सेवानिवृत्त
लेखक की कृतियाँ
- लघुकथा
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- अपने हिस्से का आसमान
- असामाजिक
- आँखें
- आत्मा की तृप्ति
- आस्तीन का साँप
- उदासी
- कचरे में मिली लक्ष्मी
- कबीरा खड़ा बाज़ार में
- कमी
- कश्मकश
- गुलाब की ख़ुश्बू
- घोड़े की सवारी
- चिराग़ तले अँधेरा
- चिरैया बिना आँगन सूना
- चेहरे का रंग
- जहाँ चाह वहाँ राह
- जीत
- जुगाड़
- जोश
- ठेकुआ
- डस्टबिन
- डाकिया
- तक़दीर
- दर्द
- दाँव
- दीये का मोल
- दो टूक बात
- धिक्कार
- धूप और बारिश
- धृतराष्ट्र अभी भी ज़िन्दा है
- नई दिशा
- नहीं
- नास्तिक
- नीम तले
- नीम हकीम ख़तरा-ए-जान
- पहचान
- पहली पगार
- पुरानी किताबें
- पुश्तैनी पेशा
- प्याजी
- प्यासा पनघट
- बदलाव
- बरकत
- बहू
- बहू की भूमिका
- बुड़बक
- ब्लड प्रेशर
- भीख
- भेदभाव
- महँगाई मार गई
- माँ की भूमिका
- मैं ज़िन्दा नहीं हूँ
- रँगा सियार
- लड़ाई
- लेटर बॉक्स
- विकल्प
- संवेदना
- सतरंगी छटा
- सपने
- सफलता का राज़
- समझदारी
- सम्बन्ध
- सम्मान
- सर्दी
- सर्वनाश
- सुकून
- सौ रुपए की सब्ज़ी
- हैप्पी दिवाली
- ख़ुद्दारी
- फ़र्क़
- कविता
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- अन्याय का प्रतिरोध
- अरुण यह मधुमय देश हमारा
- आत्मग्लानि
- आसमानी क़िला
- आज़ादी
- कायर
- किराए का टट्टू
- चौराहा
- जनतंत्र के प्रहरी
- जिजीविषा
- जीना इसी का नाम है
- तुम नहीं आए
- तुम्हारा ख़त
- तेरा प्रतिबिंब
- पहली मुहब्बत
- मधुमास
- माँ
- वर्ण पिरामिड
- विडम्बना
- शुभ दीपावली
- सरस सावन
- साथ-साथ
- सावन की घटा
- सफ़र मेरा सुहाना हो गया
- क़लम और स्याही
- ख़ुश्बू पसीने की
- कविता - क्षणिका
- अनूदित कविता
- कविता - हाइकु
- हास्य-व्यंग्य कविता
- कविता-मुक्तक
- किशोर साहित्य लघुकथा
- कहानी
- सांस्कृतिक आलेख
- ऐतिहासिक
- रचना समीक्षा
- ललित कला
- कविता-सेदोका
- साहित्यिक आलेख
- विडियो
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- ऑडियो
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