क़लम और स्याही

01-05-2023

क़लम और स्याही

निर्मल कुमार दे (अंक: 228, मई प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

मेरी जेब है ख़ाली
साथ में कोई हथियार नहीं
आगे-पीछे कोई खड़ा नहीं
फिर भी हालात को बदलने की है ज़िद; 
अँधेरे को चीर कर रख दूँगा
साथ है सिर्फ़ क़लम और स्याही। 
 
कभी लगता नहीं तन्हा हूँ मैं
एक सपना है
इसे पूरा करने के लिए
कस ली है कमर अपनी। 

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