भीतर से मैं कितनी खाली

भीतर से मैं कितनी खाली  (रचनाकार - देवी नागरानी)

66. माँ व मर्यादा पुरुष

 

आज की बेटी कल माँ बनेगी
आज का पुरुष बनेगा बेटा
वही माँ का बेटा
पति पिता बन कल फिर
जन्मदातिनी को प्रदान करेगा
वही मान
वही सम्मान
घर के भीतर
घर के बाहर
जो एक औरत चाहती है
आज के मर्यादा पुरुष से। 

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