भीतर से मैं कितनी खाली (रचनाकार - देवी नागरानी)
भूमिका
श्रीमती देवी नागरानी जी हिन्दी साहित्य के विनीलाकाश में एक चमकता हुआ तारा हैं जिनके परिचय की कोई जरूरत नहीं । उन्होंने हिन्दी भाषा में और सिंधी भाषा में कविताएँ, कहानियाँ, ग़ज़लें आदि लिखी हैं। हिन्दी से सिन्धी में सिंधी से हिन्दी में रचनाओं का अनुवाद भी उन्होंने किया है । उनके इस सिंधी से हिन्दी काव्य की तर्जुमानी भीतर से मैं कितनी खाली के बारे में बताने से पहले मैं एक बात कहना चाहती हूँ ।
ग्रीक अपोलो डेल्फी देवाल में ‘Know Thyself’ लिखा गया है । इसका मतलब है कि तुम अपने आप को जानो । हमारे बड़े बुज़ुर्ग ये कहते आये हैं कि हमने दुनिया देखी है . . . हर एक व्यक्ति दुनिया को अपनी नज़रिये से देखेता है . . . इस दुनिया में मैं कौन हूँ और मेरा क्या अस्तित्व है इसके बारे में अपने आप में झांकने से पता चलता है । इसी कोशिश का रूप है यह काव्य संग्रह ।
कवयित्री देवी नागरानी जी ने इस काव्य संग्रह में अपने बचपन से लेकर आज तक उन्होंने दुनिया को कैसे कैसे बदलते देखा है . . . उन सब के बारे में अपने अनुभवों को पाठकों से सांझा किया है ।
देवी जी के कविता संग्रह में शामिल हैं उनकी बचपन की यादें—साईकिल के बारे में, सहेली के बारे में और उन्होंने क्या खोया-क्या पाया—कैसे जीवन में आगे बढ़ते हुए इन स्मृतियों में बसे कुछ देखे-सुने पैमाने शामिल है—जैसे कि रंग रूप का भेद भाव, स्त्रियों के ऊपर हो रहे अत्याचार, करोना की विपरीत परिस्थितियों को हमने कैसे झेला है । उन्होंने जो देखा है जो सुना है ऐसे हर विषय को अपने कविताओं के द्वारा सुलभ शैली में व्यक्त किया है । कहीं आशावाद, कहीं व्यंग्य की झलक भी हमें दिखाई देती है । वे कहती हैं . . . सच मानिए वही कविता वो है जो खुद का पढ़वाती है . . .बाक़ी तो ख़ैर बातें हैं ।
तुम स्वामी मैं दासी कविता पढ़ने पर पता चलता है कि उस कविता में पत्नी का पति के प्रति प्यार, नदी को सागर के प्रति प्यार, भक्त को भगवान के प्रति प्यार इसी तरह का होता है जहाँ लगाव में तुम मैं हो जाऊँ, मैं तुम हो जाओ का प्यार, भक्ति, समर्पण में ढल जाता है ।
प्रलय काल पुकार रहा कविता में जागो, उठो ! समेटो खुद को, कब तक अपने लिए ही जियोगे, आशाओं का कुआं कभी नहीं भरेगा, अब देश के लिए भी कुछ करके देखो, ये भाव हैं जो मानव मन को जागृत करते हैं ।
रावण जल रहा कविता में लिखते हुए भाव-सदियों पहले आज के दिन रावण को राम ने मारा था । आज सैकड़ों रावण खड़े हैं,राम का कहीं कोई पता नहीं । आज की सीता को स्वयं की सुरक्षा के साधन अपनाने होंगे, एक और कविता में वे लिखती हैं— औरतों के लिए सूत का कपड़ा नहीं, लोहे का कवच बुनना होगा तोक कोई मानव मृग उसको फाड़ न सके ।
‘उम्मीद बरस रही है‘ कविता में प्राकृतिक ज़लज़लों का ज़िक्र करते हुए उनकी बानगी में कहीं भूकंप कहीं सूखा, कहीं सुनामी, कहीं भूख, कहीं लूट-सब कुछ आसपास तांडव कर रहा है और हम दर्शक बनकर देखे रहे हैं । अच्छे दिन आएँगे इसी उम्मीद पर दुनिया कायम है, पर उन्हें लाने के लिए हमें खुद कोशश करनी होगी जो आगे की पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शन बनपाए। फिर से लड़ाई लड़नी है में यह भावार्थ समाया है कि आज की इस स्वार्थ भरी दुनिया में मानवता को ललकारते हुए खुद को बलि चढ़ाने वाले एक और ईसा मसीहा को जन्म लेना होगा।
भारत माता के प्रिय पुत्र सैनिक कैसे देश के लिए अपने जान कुर्बान करते हैं इसी बहाव का पाती भारत माता के नाम कविता में लिखते हुए कवयित्री कहती हैं तेरे प्यारे बच्चे तिरंगे का कफ़न ओढ़कर तेरे आँचल में समा गए हैं । भेद भाव के इतिहास में सारे मनुष्य बराबर हैं फिर भी रंग रूप में मतभेद क्यों है, जिसके कारण हंगामा होता है। उस वर्ण विवशता को देखेकर गोरों के काले जूतों के नीचे दबते हुए पीड़त लोग अपनी साँसें गिनने लगे हैं । कमज़ोर पर बलवान का अत्याचार कब तक चलेगा? एक दिन पीड़ित लोग शोले और अंगारे बनकर टूट पड़ेंगे उन अत्याचारियों पर, दबाव सहकर जो विप्लव रूपी अग्नि पैदा होती है तो मौत का तांडव होता है ।
मैं मौत के घाट उतारी गई हूँ कविता एक लंबी मगर वास्तव को दर्शाती कविता है, लोग जो धनी बनके बैठे हैं, जिन्होंने ग़रीबों को सताया है, वे सब मरने के बाद शमशान घाट को ही आएँगे । किसी को उठाने के लिए चार काँधे नसीब होंगे, किसी को नहीं ।
जिन्होंने न्याय को ख़रीदा है, या न्याय का अपमान किया है उनको क़ुदरत न्याय का मतलब सिखा ही जाती है। ऊपर वाला सब के साथ न्याय करता है, करोना कॉल ने सब का घमंड तोड़ा है ।
इस तरह श्रीमती देवी जी ने जीवन के हर पक्ष को छुआ है और कविता संग्रह में अंत तक पाठकों को बाँधे रखा है । उनकी क़लम से दिल को छू लेने वाली कविताएँ वास्तविकता को दर्शाती हैं । उन्हें मेरी ओर से अनेक शुभकामनाएँ ।
भवदीया,
वेंकट लक्ष्मी गायत्री,
H.No. 208, 5th Street,
Lakshmi narayana nagar,
Anakapali, Andhra Pradesh.
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