भीतर से मैं कितनी खाली

भीतर से मैं कितनी खाली  (रचनाकार - देवी नागरानी)

44. नव जीवन का नव निर्माण

 

प्रलय कल की इस परिधि में
जी कर अब है देख लिया
एक सच आँखों ने देखा, मन ने फिर महसूस किया
उसने मन को जीत लिया
देखा क़ुदरत का किरदार अनोखा
जो कर रहा नव निर्माण
सब कुछ नया, नया माहौल, नई हवाएँ, 
नया रंग-नया ढंग जीवन का
ख़ुद को केंद्र बनाकर नए सिरे से, 
नई सोच से फिर फिर देखा—
तब जाकर के जाना
गर यूँ आगे बढ़ते रहेगे
तो तय है, यह ताज़गी, यह आसूदगी
हमारे बाहर व् भीतर को संचार करेंगी
हमें एक नया जीवन प्रदान करेगी। 

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