विश्व कविता दिवस: अभिव्यक्ति का वैश्विक उत्सव
अमरेश सिंह भदौरिया
कविता, मानव अभिव्यक्ति का सबसे कोमल और सशक्त माध्यम है। यह भावनाओं, विचारों, संवेदनाओं और सामाजिक यथार्थ को शब्दों में ढालने की कला है। इसी अभिव्यक्ति को सम्मान देने के लिए हर वर्ष 21 मार्च को विश्व कविता दिवस (World Poetry Day) मनाया जाता है। यह दिन कविता की महत्ता को पहचानने, विभिन्न भाषाओं की कविता को प्रोत्साहित करने और कवियों को सम्मानित करने के लिए समर्पित है।
यूनेस्को (UNESCO) ने 1999 में पेरिस में हुए अपने 30वें महासम्मेलन में 21 मार्च को “विश्व कविता दिवस” के रूप में मनाने की घोषणा की। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य कविता के माध्यम से भाषाई विविधता को बढ़ावा देना, विलुप्त होती भाषाओं को सँजोना और कविता को समाज में महत्त्वपूर्ण स्थान देना था।
यूनेस्को के अनुसार, कविता संस्कृति की आत्मा होती है, जो सामाजिक अन्याय, प्रेम, सौंदर्य, संघर्ष और मानवीय अस्तित्व को शब्दों में ढालती है। यह दिन नए कवियों को प्रोत्साहन देने, कविता की ओर युवाओं को आकर्षित करने और साहित्य में इसकी भूमिका को सशक्त करने के लिए मनाया जाता है।
कविता सिर्फ़ मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि यह समाज का दर्पण भी है। यह क्रांति की आवाज़ बनती है, प्रेम का संदेश देती है और पीड़ा को अभिव्यक्ति देती है। रवींद्रनाथ ठाकुर, मिर्ज़ा ग़ालिब, सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा, निराला, गुलज़ार, रूमी और वर्ड्सवर्थ जैसे अनेकों कवियों ने अपनी कविताओं से समाज को जागरूक किया है।
कविता विभिन्न रूपों में समाज को प्रभावित करती है:
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क्रांतिकारी कविता–यह शोषण और अन्याय के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाती है। (उदाहरण: रामप्रसाद बिस्मिल की “सरफ़रोशी की तमन्ना“)
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प्रेम कविता–यह मानवीय संबंधों और संवेदनाओं को गहराई से व्यक्त करती है। (उदाहरण: मीर, ग़ालिब, गुलज़ार)
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प्राकृतिक कविता–प्रकृति और पर्यावरण के सौंदर्य को दर्शाती है। (उदाहरण: सुमित्रानंदन पंत की कविताएँ)
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दार्शनिक कविता–जीवन, मृत्यु, ईश्वर और अस्तित्व जैसे गूढ़ विषयों पर प्रकाश डालती है। (उदाहरण: रवींद्रनाथ टैगोर की “गीतांजलि“)
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सामाजिक कविता–समाज में व्याप्त बुराइयों और समस्याओं को उजागर करती है। (उदाहरण: निराला की “वह तोड़ती पत्थर“)
आज डिजिटल युग में कविता केवल किताबों तक सीमित नहीं है। सोशल मीडिया, ब्लॉग्स, पॉडकास्ट और ऑनलाइन मंचों ने कविता को नई पहचान दी है। इंस्टाग्राम पोएट्री, स्लैम पोएट्री, स्पोकन वर्ड पोएट्री जैसे नए माध्यमों ने कविता को युवाओं के बीच लोकप्रिय बना दिया है।
कई युवा कवि अपनी कविताएँ यूट्यूब, इंस्टाग्राम, फ़ेसबुक और पॉडकास्ट के माध्यम से साझा कर रहे हैं। यह कविता की लोकप्रियता का प्रमाण है कि वह समय के साथ बदलते हुए भी अपनी प्रासंगिकता बनाए रखती है।
भारत में विभिन्न साहित्यिक संस्थाएँ, विश्वविद्यालय, स्कूल और कला मंच कवि सम्मेलन, काव्य पाठ, साहित्यिक गोष्ठियाँ और ऑनलाइन कविता प्रतियोगिताएँ आयोजित करते हैं।
विश्व स्तर पर पेरिस, लंदन, न्यूयॉर्क, बर्लिन और अन्य शहरों में इस दिन विशेष काव्य संध्याएँ आयोजित की जाती हैं।
संयुक्त राष्ट्र संघ, यूनेस्को और अन्य साहित्यिक संगठनों द्वारा इस दिन कई ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
कविता केवल शब्दों का खेल नहीं, बल्कि यह आत्मा की गूँज है। यह प्रेम, संघर्ष, वेदना, विद्रोह और सौंदर्य की भाषा है। विश्व कविता दिवस हमें यह याद दिलाता है कि कविता मानवता की अमूल्य धरोहर है, जिसे संरक्षित करना और आगे बढ़ाना हमारी ज़िम्मेदारी है।
इस दिवस पर हम सभी को कविता को पढ़ने, लिखने और प्रचारित करने का संकल्प लेना चाहिए, ताकि यह साहित्य की धरोहर पीढ़ी दर पीढ़ी जीवित रह सके।
“कविता केवल शब्द नहीं, यह हृदय की धड़कन है,
यह भावनाओं का संगम है, यह आत्मा का दर्पण है।”
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