आँखें मेरी आज सजल हैं
अमरेश सिंह भदौरियाउम्मीदों पर माथा फोड़ा
ख़ुशियों को तुमसे था जोड़ा
टूटा आज वहम जब मेरा
भहराया अरमान महल है
आँखें मेरी आज सजल हैं।
मैं जो न कह पाया तुमसे
वही लिखा हर रोज़ क़लम से
ख़ुद से बढ़कर तुमको चाहा
शायद उसका ही प्रतिफल है
आँखें मेरी आज सजल हैं।
बहती थी भावों की सरिता
आज वही हृदयघट रीता
यादों के उठ रहे बवंडर
मुरझाया अहसास कँवल है।
आँखें मेरी आज सजल हैं।
सपनों का सम्बन्ध था तुमसे
जीवन का अनुबंध था तुमसे
बार-बार रोता है दिल अब
उठती हूक यहाँ हर पल है
आँखें मेरी आज सजल हैं।
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