आँगन की तुलसी

15-09-2025

आँगन की तुलसी

अमरेश सिंह भदौरिया (अंक: 284, सितम्बर द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

वो आँगन की तुलसी—
केवल पौधा नहीं, 
एक पीढ़ी का संस्कार है, 
घरों के बीच खड़ा
संवेदनाओं का स्तंभ है। 
 
सवेरे की पहली लौ, 
घंटी की गूँज और माँ की प्रार्थना
जिससे शुरू होता था दिन—
वो तुलसी, 
भक्ति की छाया में
सदियों से खड़ी है। 
 
दादी की कहानियों में
जिसकी महिमा थी, 
माँ की माटी में
जिसकी महक थी, 
और बेटी के सपनों में
जिसका स्थान आज भी अक्षुण्ण है। 
 
वो तुलसी—
जो नारी के समान
त्याग में महान, 
संवेदना में कोमल, 
और आस्था में अडिग रही। 
 
अब फ़्लैटों की खिड़कियों में
सिमटी सी तुलसी, 
फिर भी साँसों में
संस्कृति का स्वाद भरती है। 
 
यह तुलसी—
एक प्रतीक है उस जड़ से जुड़ने का
जो समय के हर प्रवाह में
हमें थामे रही है। 

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