दिनकर गहन अंधेरे में है
अमरेश सिंह भदौरियाजनगणमन का सच्चा नायक
मर्यादा का ध्वज संवाहक
रामराज्य की लिए पताका
संवादों के घेरे में है।
दिनकर गहन अंधेरे में है।
कर्म-धर्म की लेकर शिक्षा
पग-पग देती अग्निपरीक्षा
सहमी-सहमी जनक दुलारी
दंद-फंद के फेरे में है।
दिनकर गहन अंधेरे में है।
संघर्षों का खेल खेलकर
रीति-नीति का दंश झेलकर
टूट चुका अंदर से होरी
अवसादों के घेरे में है।
दिनकर गहन अंधेरे में है।
हार-जीत का ताना-बाना
साँप-सीढ़ी का खेल पुराना
विषधर भी सब समझ गए हैं
क्या करतूत सपेरे में है।
दिनकर गहन अंधेरे में है।
1 टिप्पणियाँ
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बहुत खूब।सुंदर रचना के लिए हार्दिक शुभकामनाएं।
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