दिल से ग़ज़ल तक (रचनाकार - देवी नागरानी)
4. न जाने क्यों हुई है आज मेरी आंख कुछ यूँ नम
1222 1222 1222 1222
न जाने क्यों हुई है आज मेरी आँख कुछ यूँ नम
न सीने में कोई है दर्द, या दिल में ही कोई ग़म
गले मिलकर कभी आँखों से ग़म यूँ भी पिघलता है
जो बन सैलाब अश्कों का किनारों को करे पुरनम
वो बचपन की जवानी की, जो यादें हैं बसी दिल में
जवाँ पीढ़ी को लगता है बड़े पैदाइशी हैं हम
उठी डोली थी बेटी की बजी शहनाई सुर में जब
नज़र से तब हुई ओझल मगर दिल में रही हरदम
पुराने कुछ घरौंदे रेत के दिल में हैं बाक़ी अब
जिए पल पल जो हमने साथ वो भी तो नहीं थे कम
तेरी हर याद पर भर आती है दिल जाने क्यों ‘देवी’
कि जैसे भोर तक बरसे है दिल पर ख़ुशनुमा शबनम
विषय सूची
- समर्पण
- दिल से ग़ज़ल तकः एक सन्दर्भ
- एक ख़ुशगवार सफ़र-दिल से ग़ज़ल तक
- दिल से ग़ज़ल तक अज़, देवी नागरानी
- मेरी ओर से—दिल से ग़ज़ल तक
- 1. सफ़र तय किया यारो दिल से ग़ज़ल तक
- 2. सागर के तट पे आते ही जिसने रची ग़ज़ल
- 3. सुन सको तो सुन लो उनकी दर्द जिनके दिल में है
- 4. न जाने क्यों हुई है आज मेरी आंख कुछ यूँ नम
- 5. ज़िन्दगी करना बसर उसके सिवा मुश्किल मगर
- 6. ग़लत फ़हमी की ईंट छोटी थी फिर भी
- 7. माफ़ कैसे गुनह हुआ यारो
- 8. इल्म होगा उसको फिर तन्हाइयों का
- 9. हमसफ़र बिन है सफ़र ये जाने मंज़िल है कहाँ
- 10. ग़म कतारों में खड़े बाहर, मैं भीतर था निहाँ
लेखक की कृतियाँ
- ग़ज़ल
-
- अब ख़ुशी की हदों के पार हूँ मैं
- उस शिकारी से ये पूछो
- चढ़ा था जो सूरज
- ज़िंदगी एक आह होती है
- ठहराव ज़िन्दगी में दुबारा नहीं मिला
- तू ही एक मेरा हबीब है
- नाम तेरा नाम मेरा कर रहा कोई और है
- बंजर ज़मीं
- बहता रहा जो दर्द का सैलाब था न कम
- बहारों का आया है मौसम सुहाना
- भटके हैं तेरी याद में जाने कहाँ कहाँ
- या बहारों का ही ये मौसम नहीं
- यूँ उसकी बेवफाई का मुझको गिला न था
- वक्त की गहराइयों से
- वो हवा शोख पत्ते उड़ा ले गई
- वो ही चला मिटाने नामो-निशां हमारा
- ज़माने से रिश्ता बनाकर तो देखो
- आप-बीती
- कविता
- साहित्यिक आलेख
- कहानी
- अनूदित कहानी
- पुस्तक समीक्षा
- बात-चीत
- अनूदित कविता
- पुस्तक चर्चा
- बाल साहित्य कविता
- विडियो
-
- ऑडियो
-