दिल से ग़ज़ल तक

दिल से ग़ज़ल तक  (रचनाकार - देवी नागरानी)

समर्पण

 

समर्पण 


परम आदरणीय श्री ‘महरिष’ जी को
जो ग़ज़ल के पिंगलाचार्य रहे और रहेंगे 
जिनके प्रांगण में क़दम क्या रखा 
लगा जैसे एक मधुबन में पदार्पण हुआ 
जहाँ फूलों की मुट्ठियों में छुपी सुगंध 
मेरे भीतर के शोर में ख़ामुशी 
शोलों में शबनम व् सन्नाटों में संगीत 
का अहसास भरते हुए शब्द शब्द एक पदयात्रा 
आज भी करती आ रही है। 


— देवी नागरानी

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