दिल से ग़ज़ल तक


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सफ़र तय किया यारो दिल से ग़ज़ल तक
चला सिलसिला यारो दिल से ग़ज़ल तक
 
सफ़र करते करते जहाँ मैं आ पहुँची
हुई आशना यारो दिल से ग़ज़ल तक
 
कहाँ पर रुकेगा सफ़र ये न जाना
लगा मरहला यारो दिल से ग़ज़ल तक
 
थे शामिल सफ़र में पड़ाव ऐसे कितने
तजुर्बा वो था यारो दिल से ग़ज़ल तक
 
वो सोचों का शब्दों का था कारवां जो
मुसलसल बहा यारो दिल से ग़ज़ल तक
 
क़दम दर क़दम साथ शब्दों ने छोड़ा
बढ़ा फ़ासला यारो दिल से ग़ज़ल तक
 
किया पेश ढंग का न मतला न मक्ता
तजुर्बा नया यारो दिल से ग़ज़ल तक
 
मिली शायरी को थी न मंजिल ऐ ‘देवी’
चला क़ाफ़िला यारो दिल से ग़ज़ल तक 

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