तुमने मुझे
धरती पर
इस उत्सव में
आने का निमंत्रण
दिया था,
और मैं अपने गीत
गाने आ गई,
मेरे गीतों को सुन कर
क्या तुम बताओगे
कि मेरे गीत
इस उत्सव में
माधुर्य घोल सके?
समुद्र की लहरों
की तरह,
मेरे उन्मुक्त गीत
किनारे से टकरा कर
तुम्हें ढूँढ़ रहे हैं,
क्या तुम मेरे गीतों को
शब्दों के बंधन से
मुक्त कर,
अपनी बाँसुरी में ढाल
मुझे सुनाओगे?