विशेषांक: कैनेडा का हिंदी साहित्य

05 Feb, 2022

कुछ यादें
कुछ बातें
रत्ती भर मोहब्बत
माशा भर प्यार
छूट गया
उस गली के मोड़ पे
मिले गर
उठा कर
रख लेना। 
बड़ा बेपरवाह सी हूँ, 
कुछ न कुछ
छूट जाता है . . . हर बार . . . 
 
वो गोलगप्पे की खटाई
लस्सी की मलाई
चौक के बीच कहीं
शायद छलक गयी
वो भाई का स्नेह
माँ का आँसू
चौखट पर कहीं
छोड़ आयी हूँ
मिले तो रख लेना
यूँ ही सिरफिरी सी हूँ न, 
कुछ न कुछ छूट जाता
हर बार . . . हर बार . . .। 

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