विशेषांक: कैनेडा का हिंदी साहित्य

05 Feb, 2022

अश्रु, तुम अंतर की गाथा 
चुपके चुपके कहते 
अंतरतम को खोल, 
जगत के आगे रखते, 
तुम बिन, गरिमा, प्यार, व्यथा 
की गाथा कौन भला कहते? 
 
अनुभावों की कथा आज 
बोलो यूँ कौन कहा फिरते, 
आज छिपा असमंजस मन में 
वफ़ादार कैसे कह लूँ, 
बोलो मीत अरे, ओ मेरे 
वफ़ादार कैसे कह लूँ? 
 
तुम अंतर को खोल
जगत के आगे मेरा रखते, 
अंतर में रहते तुम मेरे 
पर जग से साझी करते, 
यह अधिकार मीत ओ मेरे 
बोलो तुमने कैसे पाया? 
याद नहीं कब मैंने तुमको 
यह अधिकार दिलाया? 
 
फिर भी मीत मान, अरे 
अंतर में तुमको रखती 
और पुनः अंतर से मेरे 
यह आवाज़ निकलती 
तुम बिन गरिमा, प्यार, व्यथा
की गाथा कौन भला कहते, 
अनुभावों की कथा आज 
बोलो यूँ कौन कहा फिरते? 
बोलो यूँ कौन कहा फिरते? 

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