विशेषांक: कैनेडा का हिंदी साहित्य

05 Feb, 2022

कई दिनों बाद
अपने आप को आज
आईने में देखा, 
कुछ अधिक देर तक
कुछ अधिक ग़ौर से! 
 
रूबरू हुई—
एक सच्ची सी सूरत
और उसपर मुस्कुराती 
कुछ हल्की सी सलवट, 
बालों में झाँकती
कुछ चाँदी की लड़ियाँ, 
आँखों में संवेदना 
शालीनता की नर्मी, 
सारे मुखमंडल पर
एक मनोरम सी शान्ति! 
 
फिर, अनायास ही
ख़ुद पर
बहुत प्यार आया, 
आज, मुझे मैं, 
अपनी माँ सी लगी!! 

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