विशेषांक: कैनेडा का हिंदी साहित्य

05 Feb, 2022

वह, 
पुरातन ग्रन्थ सी, 
सिर्फ़ बैठक की शेल्फ पर सजती हैं। 
वह, 
सस्ते नॉवेल सी, 
सिर्फ़ फुटपाथ पर बिकती हैं। 
वह, 
मनोरंजक पुस्तक सी
उधार लेकर पढ़ी जाती हैं। 
वह, 
ज्ञानवर्धक किताब सी, 
सिर्फ़ ज़रूरत होने पर पलटी जाती हैं। 
गन्दी, थूक, लगी उँगलियों से, 
मोड़ी, पलटी, और उमेठी जाती हैं। 
 
पढ़ो हमें सफ़ाई से, 
एक-एक पन्ना एहतियात से पलटते हुए, 
हम सिर्फ़ समय काटने का सामान नहीं, 
हम भी इन्सान है, उपहार में मिली किताब नहीं।

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

इस विशेषांक में
कविता
पुस्तक समीक्षा
पत्र
कहानी
साहित्यिक आलेख
रचना समीक्षा
लघुकथा
कविता - हाइकु
स्मृति लेख
गीत-नवगीत
किशोर साहित्य कहानी
चिन्तन
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
व्यक्ति चित्र
बात-चीत
ऑडिओ
विडिओ