विशेषांक: कैनेडा का हिंदी साहित्य

05 Feb, 2022

नए साल के नए सूरज की,
नई किरणें कह रही, 
चुपके से आ हर द्वार–
नई उमंगें, नए सपनों का इन्द्रधनुष, 
हो यथार्थ में साकार . . .!! 
शुभकामनाएँ आत्मसात हो बरसें, हरपल, 
हर दिल ले ख़ुशियों का आकार . . .!!! 
 
सुरभि, मकरंद युक्त पराग कण उड़ते, 
भीनी-भीनी बयार के संग 
निमंत्रण दे हर जन को, 
बहारों को आत्मसात करने का! 
 
सुनो, भूल जाओ सब शिकवे बीते साल के, 
कर लो स्वागत अंजुरी में भर कर 
इस नई अछूती सुबह, दिन और शाम का! 
 
नयनों के कोरों में झलकते सपनों को
तितलियों के सतरंगे परों पर बैठाकर
डाल–डाल, फूल-फूल चहकाकर, 
सूर्य किरणों के रथ पर चढ़ाकर
आसमान में ऊँचे छा दो उन्नति के रंग में ढाल! 
 
नए साल के नए सूरज की, 
नई किरणें कह रहीं, 
चुपके से आ हर द्वार—
नई उमंगें, नए सपनों का इन्द्रधनुष, 
हो यथार्थ में साकार . . .!! 
शुभकामनाएँ आत्मसात हो बरसे, हरपल, 
हर दिल ले ख़ुशियों का आकार . . .!!! 

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