विशेषांक: कैनेडा का हिंदी साहित्य

05 Feb, 2022

मन की आँखें

कविता | आशा बर्मन

मन की आँखें खोल रे बन्दे, 
अपने मन को तोल रे बन्दे, 
बोल प्यार के बोल रे बन्दे, 
भर मन में झनकार। 
बोलो, प्यार-प्यार-प्यार॥1॥
 
याद करो जब तुम थे बच्चे, 
सरल हृदय थे, तुम थे सच्चे, 
बंद किया कपाट हृदय का, 
खोलो मन का द्वार। 
बोलो, प्यार-प्यार-प्यार॥2॥
 
देश-विदेश में कितनी भाषा, 
धर्मों की कितनी परिभाषा। 
ढाई आखर प्रेम समझ लो, 
जो धर्मों का सार। 
बोलो, प्यार-प्यार-प्यार॥3॥
 
क्यों करते हो सबसे झगड़ा? 
झूठ-म़ूठ का है ये रगड़ा, 
भेदभाव को भूलभाल, 
छोड़ो सारी तकरार। 
बोलो प्यार प्यार प्यार॥4॥
 
रंग-बिरंगे फूल खिले हैं, 
गुलदस्ते में ख़ूब सजे हैं। 
हम सब मिल सारे जग को 
बना लें इक परिवार। 
बोलो प्यार-प्यार-प्यार॥5॥
 
शान्ति, अमन और भाईचारा, 
यदि हो, तो संसार तुम्हारा, 
जैसा तुम दूजों से चाहो, 
वैसा हो व्यवहार। 
बोलो प्यार-प्यार-प्यार॥6॥

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