मन की आँखें खोल रे बन्दे,
अपने मन को तोल रे बन्दे,
बोल प्यार के बोल रे बन्दे,
भर मन में झनकार।
बोलो, प्यार-प्यार-प्यार॥1॥
याद करो जब तुम थे बच्चे,
सरल हृदय थे, तुम थे सच्चे,
बंद किया कपाट हृदय का,
खोलो मन का द्वार।
बोलो, प्यार-प्यार-प्यार॥2॥
देश-विदेश में कितनी भाषा,
धर्मों की कितनी परिभाषा।
ढाई आखर प्रेम समझ लो,
जो धर्मों का सार।
बोलो, प्यार-प्यार-प्यार॥3॥
क्यों करते हो सबसे झगड़ा?
झूठ-म़ूठ का है ये रगड़ा,
भेदभाव को भूलभाल,
छोड़ो सारी तकरार।
बोलो प्यार प्यार प्यार॥4॥
रंग-बिरंगे फूल खिले हैं,
गुलदस्ते में ख़ूब सजे हैं।
हम सब मिल सारे जग को
बना लें इक परिवार।
बोलो प्यार-प्यार-प्यार॥5॥
शान्ति, अमन और भाईचारा,
यदि हो, तो संसार तुम्हारा,
जैसा तुम दूजों से चाहो,
वैसा हो व्यवहार।
बोलो प्यार-प्यार-प्यार॥6॥