विशेषांक: कैनेडा का हिंदी साहित्य

05 Feb, 2022

आ गया बसंत है
उत्सुकता से, आतुरता से, 
अपलक नयन बिछाये, 
जग कर रहा प्रतीक्षा जिसकी, 
वह आ गया बसंत है। 
 
दिव्य प्रकृति की ऋतुयें सारी, 
पर वसंत ऋतु सबसे न्यारी। 
क्यों कि, ऋतुराज बसंत है, 
ऋतुओं का राजा वसंत है, 
सब ऋतुओं में सबसे प्यारा, 
मुझको बसंत है। 
 
हौले-हौले, चुपके-चुपके, 
आ गया बसंत है। 
नाचो-गाओ, धूम मचाओ, 
आ गया बसंत है। 
अनुपम आल्हाद लेकर, 
सुनहरा प्रकाश लेकर, 
मलयज बयार लेकर, 
सुरभित बहार लेकर, 
फूलों का शृंगार कर के, 
रिमझिम फुहार लेकर, 
रुपहरी चाँदनी बिखेरता, 
आ गया बसंत है। 
 
तरुवर सब हैं धुले धुले, 
हरित, मोहक मुस्कान धरे, 
नूतन परिधान पहर, 
शीतल नयनों को करें, 
क्योंकि आ गया, बसंत है, 
आ गया बसंत है। 
 
जीव जंतु जगे सभी, 
रच रहें हैं मधुर नाद, जैसे ऑर्केस्ट्रा
चिड़ियाँ हैं चहक रही, 
कोयले हैं कुहुक रही, 
गिलहरियाँ फुदक रहीं
और मयूर नाच रहे, 
ख़ुशियों की थिरकन लिये, 
आ गया बसंत है, 
आ गया बसंत है। 
 
ख़रगोश लगाते दौड़, 
बच्चों को भगाते पीछे, 
सबका मन बहलाते ख़ूब, 
आ गया बसंत है, 
आ गया बसंत है। 
 
 
करने तिरोहित अज्ञान तिमिर, 
प्रकृति और जग को जगाने, 
‘उठो त्वरित कार्यरत हो”, 
कह रहा वसंत है, 
आ गया बसंत है, 
आ गया बसंत है। 
 
 
पल धरा पर लघु हमारे, 
क्षणिक स्पंदन हमारे, 
जी भर कर इस पल को जी लै इसे, 
अगले पल को किसने जाना, 
इक पल को भी नहीं गंवाना, 
कह रहा बसंत है। 
आ गया बसंत है, 
आ गया बसंत है। 
 
शुभता व जागृति का संवाहक 
आ गया बसंत है। 
जागो और जगाओ सबको, 
और प्रसन्नता बाँटो सबको, 
हँसो और हँसाओ सबको, 
स्वास्थ्य बाँटो, भोजन बाँटो, 
जगमग जग शुभता से कर दो, 
झिलमिल प्रकाश भर दो, 
कह रहा बसंत है। 
आ गया बसंत है, 
 
मंगल हो, 
मंगलमय संपूर्ण जग हो, 
हो धरा मंगलरस आपूरित, 
ज़ोर शोर से बिगुल बजाता 
कह रहा बसंत है। 
आ गया बसंत है, 
आ गया बसंत है। 

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