माँ तेरी यादों के आगे
जग के सारे बंधन झूठे।
जिस उँगली को हाथों थामें
जीवन पथ पर चलना सीखा,
प्राण ऋणी हैं, जिस अमृत के
उस अमृत बिन जीवन फीका,
याद नहीं करने को कहते
बंधु-बांधव, हित मेंं मेंरे,
किन्तु भूलकर हर्ष मनाऊँ
इससे अच्छा जीवन छूटे।
बहुत कठिन है सूखे मरुथल
मेंं पानी बिन प्यासे चलना,
मरीचिका से आस लगाये
अपने को ही ख़ुद से छलना,
मेंरा हृदय बना है तेरी
स्मृतियों से सज्जित इक आँगन,
जैसे चौबारा तुलसी का
पूजा का यह क्रम ना टूटे
माँ तेरी यादों के आगे
जग के सारे बंधन झूठे।