विशेषांक: कैनेडा का हिंदी साहित्य

05 Feb, 2022

 तुम कहाँ खो गए . . . प्राण

कविता | पूनम कासलीवाल

हथेली पे मेहँदी नहीं, 
महल सजाया था . . . 
तेरे संग मैंने, 
नया जग बसाया था . . . 
आँखों में काजल नहीं, 
अरमान लगाया था, 
तेरे संग जीवन का, 
रिश्ता निभाया था . . .
माँग में सिंदूर नहीं, 
ख़्वाब बसाया था, 
तेरे संग उम्र भर, 
साथ का वादा निभाया था, 
मंत्रोचारण की अग्नि में, 
अपना अतीत जलाया था . . . 
भूल सब अपनों को कुछ
नयों को गले लगाया था . . .
मेरे क़दमों की आहट ने, 
तेरा आँगन महकाया था, 
परिक्रमा तो थी ली दोनों ने साथ, 
फिर क्यों जलती हूँ मैं एकाकी . . . उदास . . . 
तुम कहाँ खो गए . . . प्राण . . . मेरे प्राण। 

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