मुझे मेरी उम्र से मत आँको,
मेरे बालों के रंग से भी नहीं,
न मेरे नाम, न मेरे भार से, मेरे पहनावे से,
मेरे चेहरे पर जो तिल है,
वह भी मेरी पहचान नहीं हैं।
मुझे पहचानो मेरी आवाज़ से,
जो सुबह उठ कर बोलती हूँ तो
भारी लगती है जैसे गला रुँधा हुआ हो,
जो शब्द मैं बोलती हूँ,
उन किताबों से, जो मैं पढ़ती हूँ,
उस मुस्कान से,
जो कभी कभी मैं छुपा जाती हूँ,
उन गीतों से जो मैं अकेले में गाती हूँ,
मेरे आँसुओं से, मेरी खिलखिलाती मीठी हँसीं से,
मैं किन स्थानों में घूमती रही?
मेरा घर कहाँ है? मेरे कमरे में कौन सी तस्वीरें लगी हैं?
मेरा प्यार, मेरा विश्वास कहाँ है,
वह मेरी असली पहचान है,
उस से आँको मुझे!
मेरे चारों ओर सुन्दरता है परन्तु लगता है—
वह सब भुला दिया तुमने और जो मैं नहीं हूँ
उन्हीं आँकड़ों से मुझे तोलने लगे,
उन्हीं को मेरा मापदंड बना दिया!