अतिरिक्त

15-06-2023

अतिरिक्त

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 231, जून द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

तुम चेहरे की 
मुस्कुराहट पर मत जाओ 
बहुत ग़म होते हैं 
सीने में दफ़न। 
 
तुम झूठी 
वफ़ाओं में मत आओ
बहुत ख़्वाब होते हैं
आधे अधूरे से। 
 
तुम इन सिमटी हुई
निगाहों पर मत जाओ
बहुत कुछ बिखरा हुआ होता है
छुपी हुई निगाहें में। 
 
तुम टूटे हुए हृदय पर
मत जाओ
बहुत शेष होता है प्रेम
औरों के लिए। 

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