बदलते इंसान

15-04-2021

बदलते इंसान

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 179, अप्रैल द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

जब सब समझाएँ
तो समझ जाना चाहिए,
जो छोड़ चुके हैं
अब उनको
छोड़ ही देना चाहिए।
 
उतर चुके हैं जो दिल से
उनको जीवन से अब
उतार फेंकना चाहिए।
 
जो जाना चाहते हैं
जीवन से
उनको अब
जाने ही देना चाहिए।
 
बदलते मौसम के
रंगों की तरह
जो बदलते है अब
उनको बदलने देना चाहिए।

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