इतिहास सुनो जो मरा नहीं है

01-05-2025

इतिहास सुनो जो मरा नहीं है

महेश रौतेला (अंक: 276, मई प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

इतिहास सुनो जो मरा नहीं है
पावन धरा से मिटा नहीं है, 
बसंत जब-जब आया है
वह सर्वत्र सगुण बन छाया है। 
 
एक मनुज था, एक धरा थी
एक ही सूरज सबका था, 
नक्षत्रों का मोह नहीं था
सौन्दर्य सर्वत्र एक ही था। 
 
धर्म एक था, सत्य एक था
चलना सबका सरल-सहज था, 
निर्दोषों के भीतर बैठा
आतंक का नाम नहीं था। 
 
गुण-अवगुण तब तनते थे
सुचिता का ध्यान बहुत था, 
शस्त्रों के आगे निडर
न्याय का आकार वृहत था। 
 
यह विज्ञान का अथक परिश्रम
प्रयोग से दुरुपयोग हुआ, 
कभी वायुयान तो कभी राइफ़ल 
आतंकी का हथियार हुआ। 
 
इतिहास सुनो जहाँ हरिश्चंद्र हुआ
श्रीराम-कृष्ण का संसार रहा, 
मिट्टी जहाँ शुद्ध प्यार हुई
शैतानों का विनाश हुआ। 
 
रण जो है, लड़ना होगा
धनुर्धरों को उठना होगा, 
विराट व्यवस्था के संचालक का
ध्यान सदा रखना होगा। 

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